मोदी सरनेम केस: राहुल गांधी ने सजा रद्द करने के लिए कोर्ट में दी ये दलीलें, याची ने ऐसे किया काउंटर

मानहानि केस में राहुल गांधी ने सूरत की कोर्ट में ऐसी कौन सी 5 दलीलें दी, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हो सकती है:-

नई दिल्ली:

मोदी सरनेम (Modi Surname Case) को लेकर आपराधिक मानहानि केस (Defamation Case) में सजा के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की अपील पर गुरुवार को सूरत सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसे 20 अप्रैल को सुनाया जाएगा. आज की सुनवाई में राहुल गांधी की तरफ से ऐसी 5 दलीलें दी गई हैं, जिससे उन्हें कोर्ट से राहत मिल सकती है. हालांकि, याची ने इन दलीलों को काउंटर भी किया. 

आइए जानते हैं मानहानि केस में राहुल गांधी ने सूरत की कोर्ट में ऐसी कौन सी 5 दलीलें दी, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हो सकती है:-

दलील नंबर 1:- राहुल गांधी ने कोलार की जनसभा में भाषण के दौरान पूर्णेश मोदी का नाम नहीं लिया, ऐसे में मानहानि केस कैसे?

इस दलील को समझने के लिए सबसे पहले पब्लिक डोमेन में मौजूद राहुल गांधी का वो बयान पढ़िए, जो उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कोलार की रैली में दिया था. राहुल गांधी ने कहा था- ‘...नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी. चोरों का ग्रुप है. आपके जेबों से पैसे लेते हैं... किसानों, छोटे दुकानदारों से पैसा छीनते हैं. और उन्हीं 15 लोगों को पैसा देते हैं. आपको लाइन में खड़ा करवाते हैं. बैंक में पैसा डलवाते हैं और ये पैसा नीरव मोदी लेकर चला जाता है...अच्छा एक छोटा सा सवाल है. इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी-मोदी कैसे हैं? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी ढूंढेंगे तो और मोदी निकलेंगे.…'

गौर करने वाली बात है कि राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस सूरत से BJP विधायक पूर्णेश मोदी ने किया है. इनका नाम तो राहुल गांधी ने अपनी स्पीच में लिया ही नहीं था. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में मनोज तिवारी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले को खारिज करते हुए कहा था कि धारा 499 के तहत आरोप लगाने के लिए पीड़ित व्यक्ति की स्पष्ट और सीधी मानहानि होनी चहिए.


दलील नंबर 2:- मानहानि का आरोप स्पष्ट नहीं है. राहुल ने बड़े दायरे को समेटने वाली टिप्पणी की थी.

राहुल गांधी की तरफ से कोर्ट में दूसरी दलील यह दी गई कि मानहानि के मामले में किसी खास व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुंचाने का आरोप स्पष्ट होना चाहिए. आमतौर पर की गई टिप्पणी या बड़े दायरे को समेटने वाली टिप्पणी को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता. कोलार की रैली में राहुल गांधी ने बड़े दायरे को समेटने वाली टिप्पणी की थी. राहुल का ये बयान ठीक वैसा ही जैसा लोग आम बोलचाल में बोल देते हैं कि 'नेता तो भ्रष्ट होते हैं.' 'पंजाबी लोग तो बड़े झगड़ालू होते हैं.' 'बंगाली लोग काला जादू करते हैं.' ऐसे में अगर कोई नेता, पंजाबवासी या बंगालवासी देश की किसी कोर्ट में जाकर मुकदमा कर दे कि इससे मेरी मानहानि हुई है, तो इसे मानहानि नहीं कहा जा सकता.

राहुल गांधी के वकील ने कहा, 'ऐसा दावा किया जाता है कि पूरे भारत में 13 करोड़ मोदी हैं. मोदी सरनेम कोई संघ नहीं है, लेकिन कहा गया है कि 13 करोड़ से अधिक मोदी हैं. मोदी को मामला नहीं है. गोसाई एक जाति है, और गोसाई जाति के लोगों को मोदी कहा जाता है.' राहुल की तरफ से वकील ने कहा, 'मोदी बिरादरी क्या है, इसे लेकर बहुत भ्रम है. अगर हम इस समूह की पहचान करने की कोशिश करते हैं, तो सबूत हमें भ्रमित करते हैं.' 


दलील नंबर 3:- राहुल गांधी ने तो कर्नाटक के कोलार में भाषण दिया था. फिर गुजरात के सूरत में केस कैसे दर्ज हुआ?

राहुल गांधी के वकील ने दलील दी कि CrPC की धारा 202 के तहत आपराधिक मामलों में मजिस्ट्रेट का क्षेत्राधिकार तय होता है. इस केस में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वाला बयान कर्नाटक के कोलार में दिया था. ऐसे में कोलार में दिए गए बयान के लिए गुजरात के सूरत में केस कैसे दर्ज हो गया? वहीं, राहुल गांधी के मामले में नए मजिस्ट्रेट द्वारा एक महीने में केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक तरीके से करने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

राहुल की ओर से कहा गया कि ओबीसी की सेंट्रल लिस्ट में बिहार और गुजरात में मोदी नाम की कोई जाति नोटिफाई नही है. इसलिए राहुल के बयान को ओबीसी के खिलाफ मानना भी मुश्किल है.


दलील नंबर 4:-पहली बार के अपराध में अधिकतम सजा मिल जाना कितना सही?

देश की अलग-अलग अदालतों में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के 10 और मामले चल रहे हैं. किसी और मामले में उन्हें अभी तक सजा नहीं हुई है. बल्कि ज्यादातर मामलों में तो वह जमानत पर हैं. यहां पहले अपराध में अधिकतम 2 साल की सजा दिए जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अगर किसी आपराधिक केस में किसी विधायक या सांसद को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उसके 8 साल तक कोई चुनाव लड़ने पर बैन लग जाता है.


दलील नंबर 5:- राष्ट्रपति से बिना पूछे राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर फैसला लेना गलत

पहले क्रोनोलॉजी समझिए- 23 मार्च, 2023 को सूरत के सेशन कोर्ट ने मानहानि से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी माना. कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुना दी. अगले ही दिन 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने इस फैसले को आधार बनाकर राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी. लोकसभा सचिवालय की इस कार्रवाई पर सवाल उठे. 

दरअसल, आर्टिकल-103 के मुताबिक, जब भी किसी संसद सदस्य की सदस्यता पर सवाल उठता है तो इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और राष्ट्रपति ही इस पर फैसला करेंगे. राष्ट्रपति भी फैसला लेने से पहले चुनाव आयोग से पूछेंगे और चुनाव आयोग की राय पर राष्ट्रपति फैसला करेंगे. इसका मतलब है कि जब कोई विवाद की स्थिति होगी, तब राष्ट्रपति इसमें दखल देंगे. जिस भी सदस्य की सदस्यता रद्द की जाएगी, उस पर राष्ट्रपति ही फैसला लेंगे. राहुल गांधी के मामले में ये नियम फॉलो नहीं किया गया.


राहुल गांधी की दलीलों को याची ने ऐसे किया काउंटर

मानहानि केस में सजा को रद्द करने के लिए कोर्ट में दी गई राहुल गांधी की दलीलों को याची पूर्णेश मोदी के वकील हर्षित टोलिया ने काउंटर किया. आइए जानते हैं पूर्णेश मोदी की ओर से कौन सी दलीलें दी गईं:-

राहुल गांधी पर दर्ज हैं 10 से 12 मुकदमें
हर्षित टोलिया ने कहा कि राहुल गांधी पर इतने मुकदमें दर्ज हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई है. अदालत के दोषी ठहराए जाने के बाद भी वह कहते हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. टोलिया ने कहा कि दोषी, उसकी पार्टी के नेता कोर्ट पर अनुचित टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने न्यायाल और उसके फैसले के खिलाफ कई अवमाननापूर्ण बयान भी दिए हैं. कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है.

अहंकार में सॉरी नहीं बोल रहे राहुल गांधी
टोलिया ने कहा कि राहुल गांधी का आचरण सहानुभूति का पात्र नहीं है. उनकी सजा निलंबित नहीं होनी चाहिए. वह सॉरी नहीं कह रहे हैं. गलती नहीं मान रहे हैं. यह उनका अहंकार है. क्यों वो सॉरी नहीं बोल सकते? वह इस स्तर पर किसी भी राहत के हकदार नहीं हैं.

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