मोदीनगर:
सरकार ने किसानों के लिए पुराने नोट से बीज खरीदने का आदेश जारी कर अपना काम पूरा मान लिया है, जबकि सच ये है कि किसान अपना ही पैसा बैंकों से निकाल नहीं पा रहे हैं. जिला सहकारी बैंकों से पैसा निकालना मुश्किल हो रहा है और कई इलाकों में उनके खेत ख़ाली पड़े हैं.
मोदीनगर के किसान ब्रजभूषण का चार बीघा खेत खाली पड़ा है. गन्ने की कटाई के बाद वह अब तक नई फसल की बुवाई नहीं कर पाए हैं. नोटबंदी की वजह से बीज और खाद के लिए पैसा जुटाना भारी हो रहा है. ब्रजभूषण कहते हैं, 'खेत बुआई के लिए तैयार है, लेकिन बैंक से अपना पैसा नहीं निकाल पा रहा हूं. जिला सहकारी बैंकों से लोन लेना मुश्किल हो रहा है.'
ब्रजभूषण के खेतों से कुछ दूर जितेंद्र सिंह और नेपाल सिंह का संकट भी यही है. कई दिनों की कोशिश के बाद भी रबी की बुवाई के लिए पैसे नहीं जुटा पाए. उनकी करीब 45 बीघा ज़मीन खाली पड़ी है. कहते हैं दो हफ्ते में कैश नहीं जुटा पाए तो जमीन खाली रह जाएगी.
एनडीटीवी की टीम जब मोदीनगर के इलाहाबाद बैंक की शाखा पहुंची तो पता चला कि शुक्रवार को उस वक्त तक कैश आया ही नहीं था. बैंक के बाहर किसान परेशान और हताश दिखे. उनकी शिकायत है कि कोशिशों के बावजूद छोटे खर्च के लिए पैसा निकलना मुश्किल हो रहा है, खाद-बीज के लिए पैसा मिलना तो काफी दूर है.
सरकार ने कह दिया कि किसान पुराने नोटों से बीज खरीद सकते हैं, लेकिन जिनका पैसा बैंक में जमा है, वो क्या करें।
इस बीच जिला सहकारी बैंकों का कहना है कि जब तक खरीफ की फसल के दौरान दिए गए कर्ज की ब्याज अदायगी नहीं होती, वे नया कर्ज नहीं देंगे.
अगर इस संकट पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो खेत खाली रहेंगे और इसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा.
मोदीनगर के किसान ब्रजभूषण का चार बीघा खेत खाली पड़ा है. गन्ने की कटाई के बाद वह अब तक नई फसल की बुवाई नहीं कर पाए हैं. नोटबंदी की वजह से बीज और खाद के लिए पैसा जुटाना भारी हो रहा है. ब्रजभूषण कहते हैं, 'खेत बुआई के लिए तैयार है, लेकिन बैंक से अपना पैसा नहीं निकाल पा रहा हूं. जिला सहकारी बैंकों से लोन लेना मुश्किल हो रहा है.'
ब्रजभूषण के खेतों से कुछ दूर जितेंद्र सिंह और नेपाल सिंह का संकट भी यही है. कई दिनों की कोशिश के बाद भी रबी की बुवाई के लिए पैसे नहीं जुटा पाए. उनकी करीब 45 बीघा ज़मीन खाली पड़ी है. कहते हैं दो हफ्ते में कैश नहीं जुटा पाए तो जमीन खाली रह जाएगी.
एनडीटीवी की टीम जब मोदीनगर के इलाहाबाद बैंक की शाखा पहुंची तो पता चला कि शुक्रवार को उस वक्त तक कैश आया ही नहीं था. बैंक के बाहर किसान परेशान और हताश दिखे. उनकी शिकायत है कि कोशिशों के बावजूद छोटे खर्च के लिए पैसा निकलना मुश्किल हो रहा है, खाद-बीज के लिए पैसा मिलना तो काफी दूर है.
सरकार ने कह दिया कि किसान पुराने नोटों से बीज खरीद सकते हैं, लेकिन जिनका पैसा बैंक में जमा है, वो क्या करें।
इस बीच जिला सहकारी बैंकों का कहना है कि जब तक खरीफ की फसल के दौरान दिए गए कर्ज की ब्याज अदायगी नहीं होती, वे नया कर्ज नहीं देंगे.
अगर इस संकट पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो खेत खाली रहेंगे और इसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा.
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