भारत में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का जबरदस्त विरोध हो रहा है. बीते गुरुवार देश के कई प्रमुख शहरों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किए गए. मंगलुरु और लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत हो गई. कई शहरों में धारा 144 लागू की गई है. इंटरनेट और एसएमएस पर रोक लगा दी गई है. इस बीच गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स ऑफ इंडिया (NRC) को लेकर सरकार का पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि फिलहाल केंद्र सरकार देश में NRC लागू करने नहीं जा रही है.
जी. किशन रेड्डी ने कहा, 'NRC की सूची को लागू करने की समयसीमा पर अभी तक काम नहीं किया गया है और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर किसी से भी बात करने को तैयार है, जो हिंसा में शामिल न हो. ये कब लागू किया जाएगा, कुछ कह नहीं सकते क्योंकि फिलहाल इसकी तैयारी नहीं है. अभी इसका कोई ड्राफ्ट तैयार नहीं किया गया है और न ही कैबिनेट ने इसे अप्रूव किया है और न ही कानूनी रूप से इसका खांका तैयार किया जा रहा है.'
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केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'NRC और इसके दस्तावेजों को लेकर विपक्षी दलों द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है. नागरिकता संशोधन कानून 2019 के नियमों को भी अभी ड्राफ्ट नहीं किया गया है और गृह मंत्रालय द्वारा इसे जारी करने में भी अभी थोड़ा समय लगेगा. इससे जुड़े नियम व शर्तों को लागू करने से पहले सरकार इससे जुड़े सभी लोगों से बात करेगी. एक बार देश के हालात सामान्य हो जाएं फिर केंद्र सरकार नागरिकता कानून के नियमों से जुड़े ड्राफ्ट पर सभी से चर्चा करेगी.'
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बताते चलें कि गृह मंत्री अमित शाह और उनके जूनियर मंत्री के बयान आपस में मेल नहीं खा रहे हैं. इसी महीने अमित शाह ने झारखंड की एक चुनावी रैली में कहा था कि 2024 के चुनाव से पहले एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा था, 'मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि 2024 चुनाव से पहले सभी अवैध प्रवासियों को बाहर फेंक दिया जाएगा.'
बताते चलें कि CAA को मुस्लिम विरोधी बताया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि NRC के लागू होने के बाद इस कानून से सबसे ज्यादा मुस्लिम प्रभावित होंगे. संशोधित कानून के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. इसमें 6 समुदाय - हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी को जगह दी गई है. मुस्लिमों को इससे बाहर रखा गया है.
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