पीएम मोदी (PM Modi) 25 अप्रैल को भारत की पहली वाटर मेट्रो राष्ट्र को समर्पित करेंगे. वाटर मेट्रो (Water Metro) बाकि मेट्रो से इसलिए अलग है क्योंकि ये पटरियों पर नहीं बल्कि पानी पर चलेगी. जो कि कोच्चि जैसे शहरों में बहुत ही उपयोगी है. मोदी सरकार (Modi Government) ने बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए सभी के लिए एक बढ़िया विकल्प का निर्माण किया है. जिसे देश में मेट्रो कनेक्टिविटी के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है.
मोदी सरकार की अलग-अलग मेट्रो सिस्टम परियोजना
मेट्रो लाइट (Metro Lite):
मेट्रो लाइट पारंपरिक मेट्रो प्रणाली के समान ही आरामदायक, सुविधाजनक, सुरक्षित, विश्वसनीय और इको-फ्रेंडली होने के साथ यात्रा में सुगम है. ये कम लागत वाला मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है. जो कि टियर-2 शहरों और छोटे शहरों के लिए कम लागत वाला मोबिलिटी सोल्यूशन है. मेट्रो लाइट की लागत पारंपरिक मेट्रो सिस्टम के मुकाबले 40% है. जम्मू, श्रीनगर और गोरखपुर जैसे शहरों में इसकी योजना बनाई जा रही है.
मेट्रो नियो (Metro Neo):
इसमें सड़क के स्लैब पर चलने वाले ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम द्वारा संचालित रबर टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच हैं, जो कि आरामदायक, सुविधाजनक, सुरक्षित, विश्वसनीय और पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ यात्रा के लिए सुगम है. मेट्रो नियो एक इलेक्ट्रिक बस ट्रॉली जैसा दिखती है. इसके लिए मानक गेज ट्रैक की आवश्यकता नहीं है. MetroNeo की योजना महाराष्ट्र के नासिक में बनाई जा रही है.
रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Reginol Rapid Transit System):
पहली बार एनसीआर (दिल्ली-मेरठ) में दो शहरों को जोड़ने वाली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरुआत की जा रही है. ये मेट्रो क्षेत्रीय विकास में क्रांति लाने के लिए एक महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
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