
"सिर्फ रिश्तेदारों को वीजा दें, बाकियों को नहीं... कौन अपना घर-बार छोड़कर जाएगा?" ये शब्द हैं एक पाकिस्तानी महिला की, जो भारत छोड़ने को मजबूर है. पाकिस्तान की सरकार और आतंकियों की करतूत की सजा वहां के नागरिकों को भी उठाना पड़ता है. भारत की तरफ से हो रही जवाबी कार्रवाई से अब पाकिस्तानी भी परेशान हैं. जब से मोदी सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश से बाहर करने का निर्देश जारी किया है तब से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों के बीच अफरातफरी मच गई है. देश छोड़कर जाने वाली पाकिस्तानी महिलाओं ने सरकार से रिश्तेदारों के लिए रियायत की गुहार लगाई है.
रिश्तेदारों को क्यों मिल रही सजा?
युद्ध के समय में सीमा के दोनों ओर बसे रिश्तेदार हमेशा असमंजस में रहते हैं. भारत में रह रही पाकिस्तानी महिलाएं भी ऐसी ही पीड़ा से गुजर रही हैं. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एक महिला ने कहा, "प्यार और मोहब्बत तो बरकरार रहनी चाहिए. भले ही कोई गलती हो, उसे सुलझाएं, लेकिन वीजा प्रक्रिया को बंद न करें. जिनके बच्चे हैं, जिनके रिश्तेदार हैं, उन्हें अनुमति दें. मजबूर लोगों की तो कम से कम सुन लें. शादी करके यहां बसे लोगों को आखिर क्यों सजा दी जा रही है?"
धर्म के नाम पर लड़ने वालों को सजा, पर निर्दोष क्यों?
जब महिला से पूछा गया कि धर्म के नाम पर लड़ने वाले आतंकवादियों का क्या करना चाहिए, तो उन्होंने स्पष्ट कहा, "धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों को कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए. लड़ाई तो हर जगह होती है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था इतनी पुख्ता होनी चाहिए कि किसी को गलत मौका न मिले.”
पांच साल बाद मिला वीजा, अब फिर जाना पड़ रहा
घर छोड़ने की बात पर एक महिला की आंखें नम हो गईं. उन्होंने कहा, "अपना घर छोड़ना किसे अच्छा लगता है? कौन चाहता है कि वह सब कुछ पीछे छोड़कर जाए?" एक अन्य महिला ने अपनी व्यथा सुनाई, "दिल्ली में मेरी शादी को दस साल हो गए. मेरा एक बेटा है. कोविड के दौरान मेरा वीजा खत्म हो गया था. पांच साल बाद दोबारा वीजा मिला, लेकिन अब हाल के हमलों के कारण फिर से जाना पड़ रहा है.”
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