केंद्र ने बुधवार को दो फसल बीमा योजनाओं - पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस - को वर्ष 2025-26 तक एक और साल के लिए बढ़ा दिया है. इसके साथ ही प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए 824.77 करोड़ रुपये का एक अलग कोष भी बनाया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया.
नए वर्ष का पहला निर्णय हमारे देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है। हमने फसल बीमा के लिए आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दी है। इससे जहां अन्नदाताओं की फसलों को और ज्यादा सुरक्षा मिलेगी, वहीं नुकसान की चिंता भी कम होगी। https://t.co/s4QOIGHTsj
— Narendra Modi (@narendramodi) January 1, 2025
PM मोदी ने एक्स पर लिखा, 'नए वर्ष का पहला निर्णय हमारे देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है. हमने फसल बीमा के लिए आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दी है. इससे जहां अन्नदाताओं की फसलों को और ज्यादा सुरक्षा मिलेगी, वहीं नुकसान की चिंता भी कम होगी.'
फसल बीमा योजना का विस्तार
सरकार ने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ाते हुए 4 करोड़ और किसानों को इसमें शामिल करने का फैसला किया है. इससे अधिक किसानों को फसल नुकसान के समय आर्थिक सहायता मिल सकेगी. सरकार ने डीएपी खाद पर 3,850 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला किया है. इससे किसानों को 50 किलो का डीएपी बैग 1,350 रुपये में मिलता रहेगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में वृद्धि के बावजूद सरकार ने यह फैसला किसानों को राहत देने के लिए किया है.
सरकार ने किसानों के लिए कुल 69,515 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है. इस वृद्धि का बोझ किसानों पर न पड़े, इसलिए सरकार ने अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला किया है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डीएपी उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी के संबंध में एक और बड़ा फैसला किया गया है. PM मोदी द्वारा एकमुश्त विशेष पैकेज प्रदान किया गया है. किसानों को डीएपी का 50 किलोग्राम का बैग 1,350 रुपये में मिलेगा. आज की दुनिया में, भू-राजनीतिक तनाव और युद्ध की स्थिति के कारण, जो भी अतिरिक्त बोझ होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इसे वहन करेगी. यह विशेष एकमुश्त पैकेज एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है और यह किसानों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस पूरे पैकेज की कुल लागत लगभग 3,850 करोड़ रुपये होगी.
अगर सरकार सब्सिडी नहीं बढ़ाती तो 50 रुपए बैग की क़ीमत 175 रुपए प्रति बैग के हिसाब से बढ़ जाती. इसका मतलब 50 किलो बैग की कीमत 1350 रुपए प्रति बैग से बढ़कर 1525 रुपए प्रति बैग हो जाती.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को 15वें वित्त आयोग की अवधि के अनुरूप विस्तारित करने के लिए बढ़ा दिया गया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘योजनाओं को किसानों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और इसलिए पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस के लिए आवंटन बढ़ाया गया है.''
पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन और सरकार उन्हें क्यों नहीं समझा पा रही है, इस बारे में पूछे जाने पर वैष्णव ने कहा, ‘‘अगर आप हरियाणा चुनाव के दौरान घूमे होते, तो किसानों ने ‘आंदोलन' बनाम वास्तविक कल्याण बनाम 'किसानों के लिए अच्छा' पर बहुत बढ़िया प्रतिक्रिया दी थी, आप खुद देख सकते थे.''
पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआई के लिए कुल परिव्यय वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए 69,515.71 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो 2020-21 से 2024-25 के लिए 66,550 करोड़ रुपये से अधिक है.
फसल बीमा योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी के लक्षित समावेश पर मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने नवोन्मेषण और प्रौद्योगिकी (एफआईएटी) के लिए 824.77 करोड़ रुपये का एक अलग कोष बनाने को भी मंजूरी दी है.
वैष्णव ने कहा कि यह फसल क्षति के तेजी से आकलन, दावा निपटान और कम विवादों के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग में मदद करेगा. यह आसान नामांकन और अधिक कवरेज के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने में भी मदद करेगा.
कृषि मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस कोष का उपयोग योजना के तहत तकनीकी पहल जैसे कि यस-टेक, विंड्स आदि के साथ-साथ अनुसंधान और विकास अध्ययनों के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा.
तकनीक का उपयोग कर उपज अनुमान प्रणाली (यस-टेक) उपज अनुमान के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करती है, जिसमें तकनीक-आधारित उपज अनुमानों को न्यूनतम 30 प्रतिशत महत्व दिया जाता है. आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित नौ प्रमुख राज्य वर्तमान में इसे लागू कर रहे हैं. अन्य राज्यों को भी तेजी से इसमें शामिल किया जा रहा है.
मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम (विंड्स) में ब्लॉक स्तर पर स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) और पंचायत स्तर पर स्वचालित वर्षा गेज (एआरजी) स्थापित करने की परिकल्पना की गई है. विंड्स के तहत, हाइपर-लोकल मौसम डेटा विकसित करने के लिए वर्तमान नेटवर्क घनत्व में पांच गुना वृद्धि की परिकल्पना की गई है.
इस पहल के तहत, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा केवल डेटा किराया लागत का भुगतान किया जाता है. नौ प्रमुख राज्य विंड्स को लागू करने की प्रक्रिया में हैं, जिनमें केरल, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पुडुचेरी शामिल हैं. अन्य राज्यों ने भी इसे लागू करने की इच्छा व्यक्त की है.
निविदा से पहले आवश्यक विभिन्न पृष्ठभूमि तैयारी और नियोजन कार्यों के कारण 2023-24 के दौरान राज्यों द्वारा विंड्स को लागू नहीं किया जा सका. इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 90:10 के अनुपात में उच्च केंद्रीय निधि साझा करने वाली राज्य सरकारों को लाभ देने के लिए 2023-24 की तुलना में 2024-25 को विंड्स के कार्यान्वयन के पहले वर्ष के रूप में अनुमोदित किया है.
मंत्रालय के अनुसार, पूर्वोत्तर राज्यों के सभी किसानों को प्राथमिकता के आधार संतुष्ट करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं और आगे भी किए जाते रहेंगे. इस सीमा तक, केंद्र पूर्वोत्तर राज्यों के साथ प्रीमियम सब्सिडी का 90 प्रतिशत साझा करता है.
जारी की गई पॉलिसियों के संदर्भ में, पीएमएफबीवाई, देश की सबसे बड़ी बीमा योजना है और कुल प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बड़ी है. लगभग 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसे लागू कर रहे हैं. पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस विभिन्न अप्रत्याशित घटनाओं के कारण फसल के नुकसान या क्षति से प्रभावित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं.
पीएमएफबीवाई, उपज जोखिम के आधार पर फसल के नुकसान को कवर करता है, जबकि आरडब्ल्यूबीसीआईएस मौसम संबंधी जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करता है.
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