केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को ध्यान में रखते हुए हिंसा और मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) के मामलों के खिलाफ राज्य सरकारों को सोशल मीडिया सामग्री पर निगरानी रखने और जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम पुलिस अधीक्षक की रैंक के नोडल अधिकारी को नियुक्त करने के लिए कहा है. केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा जारी एडवाइजरी में राज्यों से ऐसे संभावित अपराधियों या नफरत भरे भाषण, झूठी खबरों और भड़काऊ भाषण देने वाले संदिग्ध व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने के लिए कहा गया है. एडवाइजरी में तीन सप्ताह के अंदर ऐसे स्थानों को चिन्हित करने को कहा है जहां पिछले पांच साल में भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की घटना को अंजाम दिया गया है.
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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध 17 जुलाई को निर्देश जारी करने के बाद यह एडवाइजरी राज्यों और संघ शासित राज्यों को भेज दी गई है. एडवाइजरी में प्रमुख रूप से कहा गया है कि नोडल अधिकारी जिले में सतर्कता, भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की प्रवृतियों की संभावना को लेकर स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ नियमित बैठक करे और किसी भी समुदाय या जाति के खिलाफ प्रतिकूल माहौल को खत्म करने के प्रयासों के अलावा इसे प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठाए. इस मुद्दे पर इस महीने यह दूसरी एडवाइजरी जारी की गई है. सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए उचित कदम उठाने और सोमवार को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी.
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