शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का टोल प्लाजाओं के खिलाफ हिंसक आंदोलन आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए 'राजनीति से प्रेरित' है।
उन्होंने कहा, कोल्हापुर में, टोल के खिलाफ शिवसेना का आंदोलन स्थानीय लोगों की मदद से सफल हो पाया, लेकिन हमने मुंबई, ठाणे और पुणे में रात के अंधेरे में टोल नाकों पर गुंडागर्दी के बारे में सुना, तो हमें समझ जाना चाहिए था कि जो लोग आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सो रहे थे, जाग गए हैं और उन्होंने अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है।
पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में उद्धव ने लिखा, शिवसेना-भाजपा-आरपीआई गठबंधन ने ऐलान किया है कि अगर विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आए, तो महाराष्ट्र टोल मुक्त होगा। हालांकि कुछ पार्टियां जो इस दौरान सो रही थीं, अचानक से उठीं और टोल नाकों पर उत्पात मचाने लगीं।
टोल के मुद्दे पर एमएनएस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए उद्धव ने कहा कि कुछ समय पहले तक कुछ लोगों ने राज्य के टोल नाकों पर वाहनों की संख्या की गिनती के लिए निजी ऑडिटर्स नियुक्त किए थे। हालांकि, ऑडिटर्स गायब हो गए, लेकिन अगर टोल का मसला गुजरे जमाने की बात है, तो फिर पर्दे के पीछे से अब पत्थर क्यों फेंके जा रहे हैं?
उद्धव ने कहा, समय की मांग है कि टोल के शुल्क के विकल्प के बारे में सोचा जाए और इस बारे में भ्रष्ट आचरण रोका जाए। यह स्वीकार करते हुए कि टोल की शुरुआत पिछली शिवसेना-भाजपा सरकार ने की थी, उन्होंने कहा, टोल की वजह से ही छह लेन का पुणे-मुंबई एक्सप्रेस-वे बन पाया। लोगों ने आरामदायक यात्रा के चलते खुशी-खुशी टोल का भुगतान किया। इस रास्ते पर कभी गड्ढे नहीं थे, लेकिन आप कोल्हापुर, नासिक के बारे में ऐसा कभी नहीं कह सकते। हम खराब सड़कों के लिए पैसा क्यों भरें।
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