
आज के समय में हर किसी का टेक्नोलॉजी की जानकारी रखना लगभग जरूरी हो गया है. तकनीक के नफे-नुकसान की बात भी आए दिन सामने आती रहती है. इसका सही इस्तेमाल करें तो यह हमारी जीवनशैली को सुधारने से लेकर, अपराध को रोकने और हर कदम पर हमारी मदद ही करती है. टेक्नोलॉजी के बेहतरीन इस्तेमाल का एक मामला तेलंगाना (Telangana) में सामने आया है, जहां पांच साल पहले लापता हुआ एक मासूम अपने माता-पिता से दोबारा मिल सका. अपने कलेजे के टुकड़े को अपनी आंखों के सामने देख एक बार के लिए मां-बाप को भी अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ.
मिली जानकारी के अनुसार, 14 जुलाई, 2015 को उत्तर प्रदेश के हंडिया का रहने वाला विशाल (बदला हुआ नाम) लापता हो गया था. परिवार और पुलिस ने उसकी काफी खोजबीन की लेकिन विशाल का कुछ पता नहीं चला. करीब एक हफ्ते पहले तेलंगाना पुलिस की चेहरा पहचानने वाली तकनीक, जिसे दर्पण नाम दिया गया है, की मदद से विशाल का पता चला. वह असम के गोलपारा स्थित एक बालविकास गृह में रह रहा था.
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तेलंगाना पुलिस ने फौरन विशाल का पता लगाया और उसे हैदराबाद लेकर आ गई. राज्य की एडिशनल डीजीपी (महिला सुरक्षा) स्वाति लाकरा ने बताया कि क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम का इस्तेमाल लापता बच्चों को ढूंढने में भी किया जा रहा है. इसकी मदद से अलग-अलग राज्यों में बालविकास गृह में रह बच्चों के चेहरों को देशभर के लापता हुए बच्चों के चेहरों को मिलाया जाता है. इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह है कि कई साल बाद भी बच्चों के चेहरों को पहचानने में कारगर है. बहरहाल विशाल को सही सलामत पाकर उसके माता-पिता फूले नहीं समा रहे हैं. विशाल उत्तर प्रदेश से असम कैसे पहुंचा, इस बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है.
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