अल्पसंख्यक आयोग ने देश के सभी अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा और घृणा अपराध की घटनाओं पर रोक लगाने के इरादे से सभी राज्यों से कहा है कि वे अपने यहां हर महीने 'सर्वधर्म संवाद' बैठक का आयोजन करें. आयोग की ओर से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जारी परामर्श में यह भी कहा गया है कि हर छह महीने पर जिले स्तर पर भी ऐसे बैठक का आयोजन किया जाए.
इसके साथ ही आयोग का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हमलों और घृणा अपराध की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए इस तरह की बैठक जरूरी है, इसलिए सर्वधर्म बैठक होनी चाहिए. आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि हमलों और घृणा अपराध से समुदायों के बीच कड़वाहट और सांप्रदायिक तनाव भी बढ़ता है. आयोग ने यह भी कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है.
इसके अलावा यह नागरिकों और समाज की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए घृणा अपराधों को अस्वीकार व उसकी निंदा करें. अधिकारियों को ऐसी असामाजिक, राष्ट्र-विरोधी ताकतों को रोकने और समाज में हिंसा की घटना को रोकने के लिए नागरिक समाज की भागीदारी को शामिल करते हुए व्यवस्था विकसित करनी चाहिए. अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ रहे हिंसा और घृणा को देखते हुए राज्य और जिले स्तर पर बैठक करने के निर्देश भी दिए गए हैं.
इसी के साथ कहा गया कि अधिकारियों को असामाजिक, राष्ट्र-विरोधी ताकतों को रोकने और समाज में हिंसा की घटना को रोकने के लिए नागरिक समाज की भागीदारी को शामिल करते हुए सिस्टम डेवलप करना करना चाहिए. आयोग ने राज्यों से कहा कि गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक व्यक्तियों और शिक्षाविदों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी समुदायों यानी अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के सदस्यों की पहचान की जाय और उन्हें 'सर्व धर्म संवाद' बैठकों में शामिल किया जाए.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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