पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
भारतीय उच्चायुक्त गौतम बम्बावाले के साथ हुए निरादर के मामले को भारत ने गंभीरता से लेते हुए बुधवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया. विदेश मंत्रालय बुलाकर ये जानने की कोशिश हुई कि आख़िर इस्लामबाद से कराची बुलाए जाने के बाद गौतम बम्बावाले का निमंत्रण क्यों खारिज किया गया.
ज्ञात हो कि भारतीय उच्चायुक्त दो दिन के कराची दौरे पर थे. यहां सोमवार को उन्होंने कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन में एक खुले सत्र में हिस्सा लिया. मंगलवार को उन्हें चेंबर्स ऑफ कॉमर्स में बोलना था, लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें कार्यक्रम में शरीक होने से रोक दिया गया.
रोके जाने के पीछे वजह ये माना जा रहा है कि भारतीय उच्चायुक्त में कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन में पाकिस्तान को खरी खरी सुनाई थी. कश्मीर में जारी हिंसा पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि जिनके घर शीशे के होते वे दूसरे पर पत्थर नहीं फेंका करते. उन्होंने ये भी जोड़ा था कि पाकिस्तान को कश्मीर पर ऊर्जा खर्च करने की बजाए अपनी अंदरुनी समस्याओं से निपटना चाहिए.
हालांकि इस पूरे मामले में पाकिस्तान की तरफ से कुछ और कहा जा रहा है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ कराची में जिस प्रोग्राम में भारतीय उच्चायुक्त शिरकत करने गए थे वह प्राइवेट प्रोग्राम था. पाक सरकार ने उसका आयोजन नहीं किया. पाक सरकार ने तो सहृदयता दिखाते हुए गौतम बम्बावाले को इस्लामाबाद से कराची जाने की इजाज़त भी दे दी थी. इसके बाद भी कार्यक्रम रद्द हुआ, तो इसमें सरकार का कोई क़सूर नहीं.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ विदेश मंत्रालय को दिए अपने जवाब में पाक उच्चायुक्त ने ये भी कहा है कि उनके साथ भारत में ऐसा कई बार हुआ कि कार्यक्रम में बुला कर फिर उसे रद्द कर दिया गया. निमंत्रण देकर वापस ले लिया गया. लेकिन पाकिस्तान ने कभी इस बाबत भारतीय उच्चायुक्त को तलब नहीं किया. ऐसे मामले में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब करना बेमानी है.
गौरतलब है कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से हो रही बयानबाज़ी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. ऐसे में ये मुद्दा दोनों देशों के बीच तनातनी की एक नई कड़ी के रूप में सामने आया है.
ज्ञात हो कि भारतीय उच्चायुक्त दो दिन के कराची दौरे पर थे. यहां सोमवार को उन्होंने कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन में एक खुले सत्र में हिस्सा लिया. मंगलवार को उन्हें चेंबर्स ऑफ कॉमर्स में बोलना था, लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें कार्यक्रम में शरीक होने से रोक दिया गया.
रोके जाने के पीछे वजह ये माना जा रहा है कि भारतीय उच्चायुक्त में कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन में पाकिस्तान को खरी खरी सुनाई थी. कश्मीर में जारी हिंसा पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि जिनके घर शीशे के होते वे दूसरे पर पत्थर नहीं फेंका करते. उन्होंने ये भी जोड़ा था कि पाकिस्तान को कश्मीर पर ऊर्जा खर्च करने की बजाए अपनी अंदरुनी समस्याओं से निपटना चाहिए.
हालांकि इस पूरे मामले में पाकिस्तान की तरफ से कुछ और कहा जा रहा है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ कराची में जिस प्रोग्राम में भारतीय उच्चायुक्त शिरकत करने गए थे वह प्राइवेट प्रोग्राम था. पाक सरकार ने उसका आयोजन नहीं किया. पाक सरकार ने तो सहृदयता दिखाते हुए गौतम बम्बावाले को इस्लामाबाद से कराची जाने की इजाज़त भी दे दी थी. इसके बाद भी कार्यक्रम रद्द हुआ, तो इसमें सरकार का कोई क़सूर नहीं.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ विदेश मंत्रालय को दिए अपने जवाब में पाक उच्चायुक्त ने ये भी कहा है कि उनके साथ भारत में ऐसा कई बार हुआ कि कार्यक्रम में बुला कर फिर उसे रद्द कर दिया गया. निमंत्रण देकर वापस ले लिया गया. लेकिन पाकिस्तान ने कभी इस बाबत भारतीय उच्चायुक्त को तलब नहीं किया. ऐसे मामले में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब करना बेमानी है.
गौरतलब है कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से हो रही बयानबाज़ी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. ऐसे में ये मुद्दा दोनों देशों के बीच तनातनी की एक नई कड़ी के रूप में सामने आया है.
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