नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जिस अध्यादेश की स्वीकृति दी है उसमें 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट मिलने पर जेल नहीं होगी. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी. हालांकि, जिनके पास 10 से अधिक प्रतिबंधित नोट मिलेंगे उन पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके साथ ही बंद किए गए पुराने बड़े नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक में 31 मार्च 2017 तक जमा किया जा सकेगा.
हालांकि सूत्रों ने कहा कि आरबीआई की जमा खिड़की उपलब्ध रहने की वजह से यह भी स्पष्ट नहीं है कि 31 दिसंबर से लागू किए जाने वाले अध्यादेश में दंड का यह प्रावधान कब से लागू होगा. इससे पहले की खबरों में कहा गया था कि 31 मार्च के बाद जिनके पास पुराने नोट पाए जाएंगे उनके लिए अध्यादेश में जेल का प्रावधान किया गया है.
सूत्रों ने कहा, इस अध्यादेश को द स्पेशिफाइड बैंक नोट्स सेसेशन ऑफ लाइबिलिटीज ऑर्डिनेंस नाम दिया गया है. इस पर राष्ट्रपति की सहमति मिलने का अभी इंतजार है. उसके बाद ही इस अध्यादेश के विस्तृत ब्यौरे को जनता के लिए सार्वजनिक किया जाएगा. प्रतिबंधित नोटों को व्यावसायिक बैंकों में जमा करने की अंतिम समय सीमा 30 दिसंबर यानी शुक्रवार को समाप्त हो रही है.
जो लोग 30 दिसंबर के बाद आरबीआई में ये प्रतिबंधित नोट जमा करना चाहेंगे, उन्हें यह स्पष्टीकरण देना होगा कि वे उन नोटों को पहले क्यों नहीं जमा कर पाए. एक सरकारी सूत्र ने बताया कि उस स्पष्टीकरण को स्वीकार करने का अधिकार केंद्रीय बैंक का रहेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई. इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक कानून में सुधार करने की जरूरत है. इसका मकसद इस तरह के नोटों को रखने वालों की देनदारी समाप्त करना है. इस अध्यादेश का मकसद यह भी सुनिश्चित करना है कि कोई भी कामगारों को या किसी अन्य को इस अंतिम समय सीमा के बाद पुराने नोट में भुगतान नहीं करे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हालांकि सूत्रों ने कहा कि आरबीआई की जमा खिड़की उपलब्ध रहने की वजह से यह भी स्पष्ट नहीं है कि 31 दिसंबर से लागू किए जाने वाले अध्यादेश में दंड का यह प्रावधान कब से लागू होगा. इससे पहले की खबरों में कहा गया था कि 31 मार्च के बाद जिनके पास पुराने नोट पाए जाएंगे उनके लिए अध्यादेश में जेल का प्रावधान किया गया है.
सूत्रों ने कहा, इस अध्यादेश को द स्पेशिफाइड बैंक नोट्स सेसेशन ऑफ लाइबिलिटीज ऑर्डिनेंस नाम दिया गया है. इस पर राष्ट्रपति की सहमति मिलने का अभी इंतजार है. उसके बाद ही इस अध्यादेश के विस्तृत ब्यौरे को जनता के लिए सार्वजनिक किया जाएगा. प्रतिबंधित नोटों को व्यावसायिक बैंकों में जमा करने की अंतिम समय सीमा 30 दिसंबर यानी शुक्रवार को समाप्त हो रही है.
जो लोग 30 दिसंबर के बाद आरबीआई में ये प्रतिबंधित नोट जमा करना चाहेंगे, उन्हें यह स्पष्टीकरण देना होगा कि वे उन नोटों को पहले क्यों नहीं जमा कर पाए. एक सरकारी सूत्र ने बताया कि उस स्पष्टीकरण को स्वीकार करने का अधिकार केंद्रीय बैंक का रहेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई. इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक कानून में सुधार करने की जरूरत है. इसका मकसद इस तरह के नोटों को रखने वालों की देनदारी समाप्त करना है. इस अध्यादेश का मकसद यह भी सुनिश्चित करना है कि कोई भी कामगारों को या किसी अन्य को इस अंतिम समय सीमा के बाद पुराने नोट में भुगतान नहीं करे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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