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भारतीय वायुसेना से 62 साल बाद रिटायर होगा MIG-21, सितंबर 2025 से नहीं होगा इस्तेमाल

भारतीय वायुसेना अब मिग-21 को हटाकर सुखोई-30MKI और तेजस जैसे अत्याधुनिक विमानों को अपने बेड़े में शामिल कर रही है ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी चुनौती का सामना बखूबी कर सकें. 

भारतीय वायुसेना से 62 साल बाद रिटायर होगा MIG-21, सितंबर 2025 से नहीं होगा इस्तेमाल
भारतीय वायुसेना के पास अभी 36 मिग-21 जेट बचे हैं
  • भारत में मिग-21 फाइटर जेट को सितंबर 2025 में वायु सेना द्वारा रिटायर कर दिया जाएगा.
  • मिग-21 की जगह स्वदेशी रूप से विकसित तेजस Mk1A फाइटर जेट को भारत की वायु सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी.
  • भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में 36 मिग-21 जेट बचे हैं, जो दशकों से देश की रक्षा में लगे रहे हैं.
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नई दिल्‍ली:

भारत में मिग-21 फाइटर जेट अब इतिहास बनने जा रहे हैं. भारत में बाकि बचे मिग-21 फाइटर जेट को सितंबर 2025 में वायु सेना रिटायर कर देगी, यानी उसे ग्राउंडेड कर दिया जाएगा. एनडीटीवी को यह जानकारी मंगलवार दोपहर को मिली. भारत के आसमान की सुरक्षा में पिछले कई दशकों से वायु सेना का प्रमुख हथियार बना मिग-21 की जगह अब स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित तेजस Mk1A फाइटर जेट को जिम्मेदारी मिलेगी.

भारतीय वायुसेना के पास अभी 36 मिग-21 जेट बचे हैं...

भारतीय वायुसेना के पास अभी 36 मिग-21 जेट बचे हैं. इन मिग-21 जेट ने सफलतापूर्वक देश के आसमान और क्षेत्रों की रक्षा की है. मिग-21 को पहली बार 1963 में ट्रायल के आधार पर सर्विस में रखा गया था. यह रूसी निर्मित जेट 2000 के दशक के मध्य तक वायु सेना की रीढ़ बना रहा और उसके बाद सुखोई Su-30MKI को लाया गया. अक्टूबर 2023 में, नंबर 4 स्क्वाड्रन के मिग-21 फाइटर जेट ने आखिरी बार राजस्थान के बाड़मेर शहर के ऊपर से उड़ान भरी थी. तत्कालीन वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था, "हम 2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ाना बंद कर देंगे और उनकी जगह LCA Mark-1A ले लेंगे."

भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर

भारत-चीन युद्ध के बाद 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया मिग-21 देश का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था. पूववर्ती सोवियत संघ ने इस विमान को बनाया था और उस दौर में ये विमान अपनी फुर्तीली रफ्तार और तकनीकी दक्षता के लिया विश्वभर में मशहूर था. इस विमान की तकनीक खूबियों को देखते हुए ही भारतीय वायुसेना ने इस विमान पर दांव लगाया और ये कई दशकों तक वायुसेना की मजबूत ढाल साबित हुआ. अब तक भारतीय वायुसेना में कुल 870 मिग-21 विमानों को शामिल किया जा चुका है. इस विमान ने 1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई. मिग-21 विमान ने पाकिस्तानी वायुसेना को गंभीर नुकसान पहुंचाया. 2019 में यह विमान एक बार फिर तब सुर्खियों में आया, जब विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) अभिनंदन वर्धमान ने इसी मिग-21 से पाकिस्तान के F-16 को मार गिराया.

सेवा से विदाई की तैयारी

फिलहाल मिग-21 बाइसन की दो स्क्वाड्रन, जिन्हें पैंथर स्क्वाड्रन कहा जाता है. बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात हैं. इनके सेवानिवृत्त होते ही वायुसेना में स्क्वाड्रनों की कुल संख्या 29 रह जाएगी. उनकी जगह लेंगे, आधुनिक और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस मार्क 1ए.  

गौरवशाली लेकिन चुनौतीपूर्ण इतिहास

मिग-21 बाइसन अपनी तेज रफ्तार, शानदार मैनुवरिंग और बेहद कम रडार क्रॉस-सेक्शन के लिए जाना जाता है. एक समय इसकी तकनीक इतनी उन्नत मानी जाती थी कि इज़रायल ने इसे हासिल करने के लिए इराकी पायलट की मदद से चोरी तक करवाई थी. परंतु अब युद्ध के तौर-तरीके काफी बदल चुके हैं और आज की जरूरतों के लिहाज से इसकी तकनीक काफी पुरानी हो चुकी है.

'उड़ता ताबूत': एक कठोर उपाधि

मिग-21 भले ही एक शानदार विमान रहा हो, लेकिन इसके लगातार दुर्घटनाग्रस्त होने से ये लगातार आलोचनाओं के घेरे में भी रहा. पुराने डिजाइन और सीमित सेफ्टी फीचर्स के चलते इसे ‘उड़ता ताबूत (Flying Coffin)' तक कहा जाने लगा. आंकड़े देखें तो 1971 से अब तक लगभग 400 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 200 से ज्यादा पायलट्स और 50 से अधिक नागरिकों की जान जा चुकी है. 

अब भविष्य की ओर भारतीय वायुसेना की निगाहें

भारतीय वायुसेना अब मिग-21 को हटाकर सुखोई-30MKI और तेजस जैसे अत्याधुनिक विमानों को अपने बेड़े में शामिल कर रही है ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी चुनौती का सामना बखूबी कर सकें. 

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