ओमान में काम करने वाले भारतियों को लेकर गृह मंत्रालय चिंता में है। वजह है ओमान सरकार का भेजा वह नोट जिसके मुताबिक भारत के विदेश मंत्रालय से उसने अपने देश में बढ़ रही कट्टर सोच को लेकर चिंता व्यक्त की है।
ओमान सरकार मानती है कि वहां बसने वाले भारतीयों में ज्यादातर कट्टर सोच रखने वाले हैं और यह बात उन्होंने भारत के विदेश मंत्रालय से साझी भी की है, जिसे विदेश मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से साझा की।
हाल में जब विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ओमान गई थी, तब वहां की सरकार ने ओमान में आतंकवादी संगठन आईएस के बढ़ते खतरे से विदेश मंत्री को अवगत कराया था। उन्होंने खास तौर पर ओमान में काम कर रहे दक्षिण भारत के नौजवानों को लेकर चिंता जताई थी। उसका मानना है कि ये नौजवान आईएस से खासे प्रभावित हैं।'
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि इस वजह से गृह मंत्रालय ने रॉ को वहां काम कर रहे भारतियों के बारे में जानकारी इकट्ठी करने को कहा है।
आकड़ों के मुताबिक, करीब छह लाख भारतीय ओमान में काम कर रहे हैं और इनमें से 80 फीसदी दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं। इधर भारतीय एजेंसियों ने कुछ ऐसा भारतीय की लिस्ट भी बनाई है, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध है और उन्हें वह ट्रैक करना चाहती है।
माना जा रहा है कि जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आईएस को समर्थन मिल रहा है वह चिंता का सबब बना हुआ है। गृह मंत्रालय ने ओमान सरकार को अपना पूरा सहयोग देने की बात भी कही है।
हाल में हुई एक असेसमेंट में यह सामने आया कि आईएस से जुड़ने वाले सबसे ज्यादा नौजवान सऊदी अरब के थे। रॉ के मुताबिक, आईएस से जुड़ने वालों में सऊदी अरब के लगभग 3000 लोग, जबकि 2755 लोग रूस के, 2500 मोरक्को के और जॉर्डन के 1500, जबकि हॉलैंड से 350, बेल्जियम से 400, जर्मनी से 500 और पाकिस्तान से 50 लोग थे। हालांकि इस आतंकी संगठन शामिल होने वाले भारतीय की गिनती ज्यादा नहीं हुई है, इसीलिए भारत सरकार ज्यादा सतर्कता बरत रही है ताकि ये संख्या न बढ़े।
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