दिल्ली नगर निगम के चुनाव (MCD Elections Result 2022) में आम आदमी पार्टी (AAP) ने बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन पार्टी को इस बात की चिंता है कि उसके वरिष्ठ नेताओं या मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज विधानसभा के 4 में से केवल एक वार्ड ही पार्टी जीत पाई है. पार्टी को मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में हार मिली है. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और विधायक अमानतुल्लाह खान के विधानसभा क्षेत्र ओखला में AAP पांच में से एक वार्ड ही जीत पाई. कांग्रेस और BJP को दो-दो वार्ड में जीत मिली है. इसी इलाके में शाहीन बाग आता है, जहां CAA-NRC के खिलाफ आंदोलन चला था. ऐसे में पार्टी को इन वार्डों में अपने प्रदर्शन की समीक्षा करने की जरूरत है.
दरअसल, मंत्री सत्येंद्र जैन की शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र के सभी तीनों वार्ड पार्टी हार गई. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की विधानसभा नजफगढ़ की सभी चारों सीटें आम आदमी पार्टी हार गई.पर्यावरण मंत्री गोपाल राय की विधानसभा बाबरपुर में पार्टी 4 में से केवल एक वार्ड ही जीत पाई. वहीं, खाद्य आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन की विधानसभा बल्लीमारान में पार्टी ने 3 में से 2 वार्ड जीता है.
हालांकि, समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद के पटेल नगर में आम आदमी पार्टी सभी चारों वार्ड जीत गई. यहां बताने वाली बात यह है कि पटेल नगर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता का इलाका है और वह वहीं से पार्षद भी रहे हैं. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल की विधानसभा शाहदरा में पार्टी 3 में से केवल एक वार्ड ही जीत सकी. दिल्ली विधानसभा की डिप्टी स्पीकर राखी बिड़लान की विधानसभा मंगोलपुरी में पार्टी ने 3 में से 2 वार्ड जीते.
पहले साल महिला पार्षद को ही बनाया जाएगा मेयर
MCD चुनाव जीते पार्षदों का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है, लेकिन मेयर सिर्फ एक साल के लिए चुने जाते हैं. MCD में कुल 250 वार्ड हैं. इन वार्डों से जीते पार्षद ही मेयर का चुनाव करते हैं. दिल्ली की जनता सीधे तौर पर मेयर नहीं चुन सकती. जनता पार्षदों को चुनती है और पार्षद मेयर को. MCD की 5 साल के कार्यकाल में पहले साल किसी महिला पार्षद को ही मेयर बनाया जा सकता है. ये एक तरह का रिजर्वेशन है. तीसरे साल किसी अनुसूचित जाति के पार्षद को मेयर बनाया जाएगा.
निकायों में नहीं लागू होता है दलबदल कानून
सांसद और विधायक अपनी मर्जी से पार्टी नहीं बदल सकते हैं या सदन में पार्टी की मर्जी के बिना किसी मुद्दे पर वोट नहीं कर सकते हैं. लेकिन मेयर, नगर परिषद और पालिकाओं के प्रमुख और पार्षदों पर यह नियम लागू नहीं होता है. और यही बात आम आदमी पार्टी के लिए खतरा साबित हो सकता है.
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