उत्तर प्रदेश की सियासत में प्रबल प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के बीच विवाद फिर गहरा गया है. आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में BSP के 6 बागी विधायकों ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की, जिससे सूबे में सियासी पारा अचानक बढ़ गया है. अटकलें हैं कि ये सभी समाजवादी पार्टी में अपना भविष्य तलाश रहे हैं और जल्द ही अखिलेश यादव की पार्टी में शामिल हो सकते हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस घटना को लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए सिलसिलेवार कई ट्वीट किए हैं. अपने ट्वीट में मायावती ने आरोप लगाया है कि एसपी मीडिया के सहारे यह प्रचारित कर रही है कि बीएसपी के कुछ विधायक टूटकर अखिलेश यादव की पार्टी के साथ जा रहे हैं, यह घोर छलावा है.
UP चुनाव से पहले सियासी उठापटक शुरू, BSP के 6 विधायकों ने की अखिलेश यादव से मुलाकात
3. सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।
— Mayawati (@Mayawati) June 16, 2021
4. जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।
— Mayawati (@Mayawati) June 16, 2021
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बीएसपी सुप्रीमो ने अपने ट्वीट में लिखा, ' बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है.यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा.' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं. इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय है.'
बागी विधायकों के मामले में उन्होंने लिखा, 'सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं.घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं,घोर छलावा है.' अखिलेश से मंगलवार को मिलने वाले BSP के बागियों में असलम राइनी (भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली चौधरी (ढोलाना-हापुड़), मुज़्तबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हांडिया-प्रयागराज), हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल (मुंगरा बादशाहपुर), वंदना सिंह (सगड़ी-आज़मगढ़), रामवीर उपाध्याय (सादाबाद) तथा अनिल सिंह (उन्नाव) शामिल हैं.
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