
मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफा देने की घोषणा की (फाइल फोटो).
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सहारनपुर मुद्दा उठाते हुए मायावती ने इस्तीफे की घोषणा की
मंगलवार को उन्होंने राज्यसभा में इस्तीफा देने की घोषणा की
कहा-जब राज्यसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा, तो यहां क्यों रहूं
उसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हैं. तब तक वह संसद के किसी भी सदन का हिस्सा नहीं होंगी. हालांकि कुछ समय पहले बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने घोषणा करते हुए कहा था कि वह राज्यसभा की उम्मीदवारी में मायावती का समर्थन करेगी. उनके समर्थन की बदौलत संभवतया मायावती 2018 में राज्यसभा में लौट सकती हैं.
यूपी में दरकती सियासी जमीन के बीच मायावती के इस्तीफे की घोषणा को उनके बड़े सियासी पैंतरे के रूप में देखा जा रहा है, उनके इस्तीफे के कारणों पर एक नजर :
1. दरअसल बसपा की दरकती सियासी जमीन के बीच उनका इस्तीफा अहम माना जा रहा है. दरअसल मायावती को यह लगने लगा है कि बीजेपी की नजर बसपा के कोर वोट बैंक पर है. अबकी बार के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और यूपीए दोनों ने ही दलित कार्ड खेला है.
2. एनडीए की ओर से जहां रामनाथ कोविंद मैदान में हैं, वहीं यूपीए की तरफ से मीरा कुमार मैदान में हैं. मौजूदा परिदृश्य में रामनाथ कोविंद का जीतना तय माना जा रहा है. बीजेपी ने ही सबसे पहले 'दलित कार्ड' खेलते हुए कोविंद को मैदान में उतारा था. इसको बसपा के कोर वोट बैंक में सेंधमारी के रूप में देखा जा रहा है.
3. अबकी बार यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की बसपा को महज 19 सीटें मिली हैं. बीजेपी ने 403 सदस्यीय विधानसभा में 325 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला है. उसके बाद से ही माना जा रहा था कि बसपा के किले में बीजेपी ने जबर्दस्त सेंधमारी कर दी है.
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