बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को आरोप लगाया कि दो दिन पहले पार्टी छोड़ने वाले राज्यसभा सदस्य अखिलेश दास ने दोबारा प्रत्याशी बनाने के लिए उन्हें 100 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। हालांकि, दास ने इस आरोप से इनकार किया।
मायावती ने कहा, ‘‘दास ने मुझसे दिल्ली में कहा था कि राज्यसभा का दोबारा प्रत्याशी बनाने के लिए जितना चाहे धन ले लें।’’ बसपा प्रमुख के मुताबिक, दास ने ये भी कहा कि वह पचास करोड़ रुपये या 100 करोड़ रुपये तक देने को राजी हैं। दास का तर्क था, ‘‘बसपा सत्ता से बाहर है, इसलिए पार्टी चलाने के लिए मुझे धन की आवश्यकता होगी लेकिन मैंने कहा कि 200 करोड़ रुपये देते तो भी मैं उन्हें राज्यसभा के लिए दोबारा प्रत्याशी नहीं बनाऊंगी।’’
इसके कुछ ही घंटे बाद बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में दास ने बसपा प्रमुख के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा, ‘‘मायावती से मेरी जो भी बात हुई, बंद कमरे में हुई थी। मैंने ऑफर किया अथवा उन्होंने मांगा होगा, यह सबके समझने की बात है।’’ उन्होंने उलटे मायावती पर आरोप लगाया कि टिकट वितरण में वह विधानसभा की आरक्षित सीटों के लिए 50-50 लाख रुपये और सामान्य सीटों के लिए एक-एक करोड़ रुपये लेती हैं।
उधर, मायावती ने कटाक्ष किया, ‘‘अखिदेश दास का दुख हम समझ सकते हैं।’’ साथ ही मायावती ने आरोप लगाया, ‘‘हमें किसी एक व्यक्ति का आर्थिक सहयोग नहीं चाहिए। बसपा धन्नासेठों की पार्टी नहीं है। गरीब और मजलूमों के थोड़े-थोड़े धन से आंदोलन को आगे बढ़ाया है। हाल ही में संपन्न दो राज्यों के विधानसभा चुनाव और दो राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में आर्थिक मदद के लिए उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के गरीब और मजलूम लोगों ने छोटी छोटी धनराशि से पार्टी की मदद की।’’
मायावती ने कहा कि पार्टी केवल उसी व्यक्ति को टिकट देगी, जो बसपा के आंदोलन को आगे बढ़ाये, जमीनी स्तर पर जुड़ा हो और जिसमें जनाधार बसपा के पक्ष में लाने का सामर्थ्य हो।
दास द्वारा मायावती पर लगाए गए आरोपों को लेकर संवाददाताओं द्वारा किए गए सवालों के जवाब में बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘दास पहले कांग्रेस में थे। कांग्रेस क्यों छोड़ी ये आप भी जानते हैं। जब वह हमारी पार्टी में शामिल हुए तो भी कांग्रेस पर उन्होंने आरोप लगाये थे। खास तौर पर राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए थे।’’
मायावती की इस दलील पर दास ने दावा किया कि वह बसपा प्रमुख की ओर से भेजे एक नेता के बार-बार आग्रह पर कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुए थे।
बसपा प्रमुख के इस आरोप पर कि वह वैश्य समाज को बसपा से जोड़ नहीं पाये, दास ने पहले ही बसपा छोड़ अन्य दलों में जा चुके कुछ बड़े वैश्य नेताओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैंने मायावती को अपनी तरफ से समझाने की कोशिश की कि लोगों को अपमानित करके उन्हें साथ नहीं लाया जा सकता।’’
मायावती का आरोप था कि हमने अखिलेश दास पर भरोसा कर उन्हें राज्यसभा भेजा, लेकिन वह वायदे पर खरे नहीं उतरे। वैश्य समाज के लोगों को जोड़ना तो दूर, सत्र के दौरान वह सदन में भी मौजूद नहीं रहते थे। वह केवल अपने व्यापार को संभाल रहे थे।
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