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लोकतंत्र और मतभेद साथ चल सकते हैं... बॉम्‍बे हाई कोर्ट की न के बाद भी मुंबई में होगा मराठा आरक्षण आंदोलन!

आंदोलन के लिए रवाना हो रहे लोगों का कहना है कि आरक्षण ही त्योहार है और मुंबई में ही त्योहार मनाएंगे. अगर स्थिति नियंत्रण से बाहर होती है तो इसके लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस जिम्मेदार होंगे.

लोकतंत्र और मतभेद साथ चल सकते हैं... बॉम्‍बे हाई कोर्ट की न के बाद भी मुंबई में होगा मराठा आरक्षण आंदोलन!
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा नेता मनोज जरांगे को बिना प्रशासन की मंजूरी के आंदोलन न करने की सख्त हिदायत दी है.
  • मनोज जरांगे पाटिल 27 अगस्त से मुंबई के लिए मार्च शुरू करेंगे और 29 अगस्त से आजाद मैदान में भूख हड़ताल करेंगे.
  • आंदोलनकारियों की मुख्य मांग ओबीसी कोटे के तहत मराठाओं को आरक्षण, परिजनों को सरकारी नौकरी है.
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मुंबई:

महाराष्‍ट्र में एक बार फिर से मराठा आरक्षण की हलचल तेज हो गई है. बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने प्रशासन के इजाजत के बिना सार्वजनिक जगह पर आंदोलन करने से मना किया है लेकिन इसके बाद भी आंदोलन की तैयारियां पूरी हैं. बुधवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर जरांगे पाटिल लाखों समर्थकों के साथ मुंबई कूच करने के लिए तैयार हो चुके हैं. हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील को सख्त शब्दों में समझाया है. कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक जगह पर अनिश्चितकाल तक धरना या आंदोलन नहीं किया जा सकता, ये बात ध्यान में रखनी होगी. हाई कोर्ट ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि जरांगे पाटील को बिना प्रशासन की इजाजत के आंदोलन करने की इजाजत नहीं है. 

'कानून-व्‍यवस्था बरकरार रहे' 

बॉम्‍बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान गणेशोत्सव का हवाला दिया गया और कहा गया है कि मुंबई में कानून-व्यवस्था बनी रहनी चाहिए.  मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की बेंच ने साफ कहा, 'लोकतंत्र और मतभेद साथ-साथ चल सकते हैं, लेकिन आंदोलन सिर्फ तय की गई जगह पर ही होना चाहिए.' बताया जा रहा है कि 29 अगस्‍त से  जरांगे समर्थक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे. इस पूरे मामले पर मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती ने मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है. कमिश्नर ने कहा कि मनोज जरांगे पाटिल को हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा और मुंबई में कानून-व्यवस्था बनाए रखनी होगी. 

कहां होगा आंदोलन? 

इस आंदोलन से मुंबई की रफ्तार पर ब्रेक न लगे इसके लिए सरकार, जरांगे पाटील को नवी मुंबई के खारघर में आंदोलन के लिए जगह देने पर विचार कर सकती है. दूसरी तरफ जालना में मनोज जरांगे ने ऐलान किया है कि वह मुंबई के आजाद मैदान में ही आंदोलन करेंगे. उन्‍होंने कहा है कि उनकी टीम नए सिरे से कोर्ट का रुख करेगी. उनका कहना है कि अगर इसकी इजाजत उन्‍हें नहीं दी गई तो समझ लेना चाहिए कि इसके पीछे सीएम फड़णवीस की कोई साजिश है. 

सबकुछ छोड़कर 'चलो मुंबई'  

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल समुदाय के लोगों के साथ गणेश चतुर्थी के दिन 'चलो मुंबई' मार्च के तहत कूच करेंगे. 27 अगस्त को मराठवाड़ा क्षेत्र के जालना जिले के अंबड़ तालुका के अपने अंतरवाली सराटी गांव से शुरू होकर दो दिन बाद मुंबई पहुंचने की योजना है. बुधवार को शुरू होकर मार्च 28 अगस्त को शिवनेरी किला पहुंचेगा. यह वह जगह है जहां पर छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्‍म हुआ था.

इसके बाद राजगुरुनगर, चाकण, लोनावाला, पनवेल, वाशी और चेंबूर होते हुए दो दिन बाद मुंबई के आजाद मैदान पहुंचेगा. 29 अगस्त से आंदोलनकारी मुंबई के आजाद मैदान पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की शुरुआत करेंगे. जारंगे ने मराठा समुदाय के सभी सदस्यों से इस आंदोलन के लिए अपने व्यवसाय, त्योहार, खेती, नौकरियों से कुछ दिनों का ब्रेक लेने की अपील की है. पाटिल की मानें तो यह मराठा आरक्षण पाने के लिए आखिरी लड़ाई बताया है. 

क्‍या हैं आंदोलनकारियों की मांगे 

पाटिल ओबीसी कोटे के तहत मराठाओं के लिए आरक्षण, विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने परिजनों को खोने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरी, आर्थिक सहायता, और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आपराधिक मामलों को वापस लेने की जरांगे पाटिल मांग कर रहे हैं. उनकी मांग है कि आरक्षण ओबीसी कोटे से आना चाहिए, ना कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के 10 प्रतिशत कोटे से.  पाटिल ने 'मुंबई चलो' के लिए मराठवाड़ा के जालना, बीड, हिंगोली, लातूर, परभणी, नांदेड़  जिलों में घूम-घूमकर समर्थन जुटाने की कोशिश की है. जिस तरह से भीड़ उनसे जुड़ती हुई नजर आ रही है, वह सरकार के लिए थोड़ी परेशानी की बात हो सकती है.  

आंदोलन के लिए पूरी तैयारियां 

आंदोलन के लिए सोलापुर से 24 हजार वाहन निकालने की तैयारी है और मराठा बहुल गांवों से बड़ी संख्या में लोग मुंबई जाएंगे. इनमें मोटरसाइकिल, चार पहिया वाहन और ट्रक शामिल हैं. लातूर तालुका से 700 गाड़ियां मुंबई की ओर जाएंगी. बताया जा रहा है कि हर गांव से 3 से 4 गाड़ियों की योजना बनाई गई है. आंदोलन के लिए गांव-गांव से हजारों रुपयों का चंदा इकट्ठा हुआ है. वहीं गांव के लोग अपने साथ चावल, तेल और बाकी राशन लेकर निकल रहे हैं. महिलाओं के लिए अलग गाड़ियों की व्यवस्था की गई है. गाड़ियों में गद्दे, पानी की टंकी और दो गैस सिलेंडर रखे जा रहे  हैं. 

आरक्षण को बताया त्‍योहार 

आंदोलन के लिए रवाना हो रहे लोगों का कहना है, 'आरक्षण ही हमारे लिए त्योहार है. हम मुंबई में ही त्योहार मनाएंगे. अगर मुंबई में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है, तो इसके लिए सीएम  देवेंद्र फडणवीस जिम्मेदार होंगे. गांव-गांव से मराठा बंधु मुंबई के लिए रवाना होंगे. हम OBC कोटे से ही आरक्षण मिलने की अपनी मांग पर दृढ़ हैं. मांगें पूरी होने तक हम पीछे नहीं हटेंगे.' कुछ लोगों का दावा है कि जाति वैधता प्रमाण पत्र के लिए पैसों की मांग की जा रही है. उनकी मानें तो आरक्षण की यह लड़ाई आज की नहीं, बल्कि पिछले 40 वर्षों से जारी है. पाटिल समर्थकों ने कहा है, 'जैसा मनोज जरांगे पाटिल आदेश देंगे, हम वैसा ही करेंगे.' 

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