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This Article is From Jun 15, 2025

ईरान-इजरायल तनाव में फंसे जम्मू-कश्मीर के हजारों छात्र, घरों में पसरा डर और बेचैनी

जम्‍मू कश्‍मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर लिखा है कि ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक है.

श्रीनगर:

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने भारत के जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों परिवारों की चिंता बढ़ा दी है. इस संकट के केंद्र में वे लगभग 1300 छात्र हैं, जो मुख्यतः एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए ईरान में रह रहे हैं. परिजन छात्रों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं और उन्होंने भारत सरकार से तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन की मांग की है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी केंद्र सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की है. 

उमर अब्‍दुल्‍ला ने की अपील 

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर विदेश मंत्रालय को टैग करते हुए लिखा है कि ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक है. उनके परिजन बेहद चिंतित हैं और हम इस संकट की घड़ी में उनके साथ खड़े हैं. हरसंभव कदम तुरंत उठाए जाएं. वहीं, कश्मीर छात्र संघ का कहना है कि छात्रों के हालात गंभीर हैं और लगातार हमलों से मानसिक तनाव चरम पर है. इन छात्रों की रिहाइश ईरान के रणनीतिक सैन्य प्रतिष्ठानों के निकट ही है.  इन क्षेत्रों में इजरायली हमलों की आशंका अधिक है. वहां रह रहे छात्र लगातार हवाई हमलों, वायु रक्षा सायरनों और सैन्य गतिविधियों की आवाजें सुन रहे हैं, जिससे भय और बेचैनी का माहौल बना हुआ है.

रात भर आती हैं धमाकों की आवाज 

एक छात्र ने बताया, 'आजकल रात को धमाकों की आवाज से सो नहीं पा रहे हैं. हम खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं और हमारे माता-पिता भारत में हर पल घबराहट में जी रहे हैं' छात्रों का यह भी कहना है कि स्थानीय संचार व्यवस्था बाधित है. भारतीय दूतावास से नियमित संपर्क न होने के कारण स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भारत सरकार से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की राजनयिक और मानवीय जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया है. एक आधिकारिक बयान में उन्होंने कहा कि भारत को इस संकट में निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए. 'हम इजरायल और ईरान से संयम बरतने और बातचीत से समाधान निकालने की अपील करते हैं. साथ ही भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाना चाहिए.'

कश्मीर छात्र संघ ने भारत सरकार से मांग की है कि 

  • ईरान से छात्रों की आपातकालीन निकासी अभियान की तत्काल शुरुआत हो.
  • ईरान में छात्रों और भारतीय दूतावास के बीच समर्पित हेल्पलाइन और रेस्क्यू कोऑर्डिनेशन चैनल की व्यवस्था हो. 
  • छात्रों को भेजी जा रही सूचनाओं की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जाए और नियमित अपडेट दिए जाएं.
  • स्थानीय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग सहायता की व्यवस्था हो. 

छात्रों में  मानसिक तनाव 

छात्र संघ का कहना है कि वर्तमान में छात्रों के सामने शारीरिक खतरे के साथ-साथ गंभीर मानसिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों परिवार अपने बच्चों की सुरक्षित वतन वापसी का इंतजार कर रहे हैं. यह न केवल एक कूटनीतिक चुनौती है, बल्कि एक मानवीय आपदा भी बनती जा रही है. सरकार की त्वरित और संवेदनशील प्रतिक्रिया ही इन छात्रों और उनके परिजनों को राहत पहुंचा सकती है. 

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