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This Article is From Jan 23, 2024

कई दंपतियों ने बच्चे को जन्म देने के लिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ‘मुहूर्त’ चुना

कर्नाटक के विजयपुरा में ‘श्री सिद्देश्वर लोक कल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट’ द्वारा संचालित जेएसएस सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल से 50 से अधिक गर्भवती महिलाओं ने विशेष अनुरोध किया था कि वे अपने बच्चे को 22 जनवरी को जन्म देना चाहती हैं.

कई दंपतियों ने बच्चे को जन्म देने के लिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ‘मुहूर्त’ चुना
रामलला प्राण प्रतिष्‍ठा के दिन हुए कई शिशुओं के नाम ‘राम’ और ‘सीता’ रखे गए.
बेंगलुरु/ मुंबई:

अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के दिन कई दंपतियों ने अपने नवजात शिशु को जन्म के लिए चिकित्सकों के परामर्श से सोमवार दोपहर का समय निर्धारित कराया. कई नवजात शिशुओं के नाम ‘राम' और ‘सीता' रखे गए. वहीं, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद स्थित जिला महिला अस्पताल में एक मुस्लिम परिवार में जन्मे एक बच्चे का नाम उसकी दादी ने ‘राम रहीम' रखा. 

जिला महिला अस्पताल के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर नवीन जैन ने बताया, “ प्रसूता फरज़ाना ने आज एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे की दादी हुस्न बानो ने उसका नाम राम रहीम रखा.” बानो ने कहा कि उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश देने के लिए बच्चे का नाम राम रहीम रखा है.

कर्नाटक के विजयपुरा में ‘श्री सिद्देश्वर लोक कल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट' द्वारा संचालित जेएसएस सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल से 50 से अधिक गर्भवती महिलाओं ने विशेष अनुरोध किया था कि वे अपने बच्चे को 22 जनवरी को जन्म देना चाहती हैं. अस्पताल ने सोमवार को 20 से अधिक प्रसव कराये.

हेड एचआर (मानव संसाधन प्रमुख) लीलावती सी.ए. ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ हमारे पास 50 से अधिक महिलाओं का यह विशेष अनुरोध आया था कि वे 22 जनवरी को प्रसव करवाना चाहती हैं क्योंकि यह भगवान राम का दिन है.''

अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि कई सारे अनुरोध थे , ऐसे में गर्भस्थ महिलाओं की मेडिकल स्थिति और कई जांच के बाद हमने 22 जनवरी को 20 से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने का समय निर्धारित किया.''

उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमने अबतक 20 से अधिक महिलाओं का प्रसव कराया है और अब भी ऑपरेशन कक्ष में गर्भस्थ महिलाएं हैं एवं जांच चल रही है ताकि अगला प्रसव कराया जा सके.

अश्वनि बागली (21) उन महिलाओं में एक है जिसने सोमवार को बच्चे को जन्म देने की योजना बनायी थी. उनके पति बैंककर्मी हैं.

अश्वनि ने कहा, ‘‘यह शुभ दिन है और हमारा परिवार चाहता है कि इस ऐतिहासिक दिन बच्चे का जन्म हो क्योंकि भगवान राम अयोध्या लौट आये है. मैंने इस शुभ दिन एक पुत्री को जन्म दिया और हम अपनी बेटी का नाम सीता रखने की सोच रहे हैं.''

अस्‍पताल ने की थी मुफ्त प्रसव की घोषणा 

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि उसने 18-22 जनवरी के बीच अपने यहां मुफ्त प्रसव की घोषणा की थी और उसने इस दौरान 100 से अधिक प्रसव कराये गए. उसने 22 जनवरी को ‘‘पालना समारोह'' भी आयोजित किया जहां तीन नवजात शिशुओं--दो लड़के और एक लड़की को ‘भगवान राम, सीता और लक्ष्मण' के रूप में प्रदर्शित किया गया.

महाराष्ट्र के ठाणे शहर में 42 साल की एक महिला ने डॉक्टरों द्वारा उसका अनुरोध मान लिये जाने के बाद आज एक शिशु को जन्म दिया. जबकि उसके प्रसव में एक दिन का समय और था. ठाणे के माले अस्पताल के डॉक्टर चंद्रकांत बरूरे ने बताया कि काफी पढ़ी-लिखी और आईटी क्षेत्र में कार्यरत इस महिला का प्रसव 23 जनवरी को कराया जाना था लेकिन उसने अनुरोध किया था कि उसका प्रसव एक दिन पहले कर दिया जाए ताकि यह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर हो सके.

यह सिजेरियन प्रसव कराने वाले डॉक्टर बरूरे ने बताया कि ठाणे की समृद्धि बामने नाम की महिला ने ‘इन विट्रो फर्टिलाइजेशन' (आईवीएफ) प्रक्रिया के माध्यम से गर्भधारण नहीं किया था.

ठाणे के नौपाडा इलाके में स्थित इस अस्पताल के डॉक्टर बरूरे ने बताया कि दोपहर साढ़े 12 बजे बच्चे का जन्म हुआ तथा जच्चा एवं बच्चा, दोनों स्वस्थ हैं.

नवजात बच्‍चे का नाम श्रीराम रखा 

देशभर में, माता-पिता बनने जा रहे कई दंपत्तियों ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को प्रसव कराने का चिकित्सकों से अनुरोध किया था. 

जेएसएस सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल में अपने बच्चे को सामान्य प्रक्रिया से जन्म देने के कुछ घंटे बाद बोरम्मा नाम की 30 वर्षीय महिला ने कहा, ‘‘मेरे पति किसान हैं और हमारे पास प्रसव की तारीख 22 जनवरी कराने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. मुझे लग रहा है कि भगवान राम चाहते थे कि मैं इस शुभ दिन अपने बच्चे को जन्म दूं. राम का भक्त होने के नाते हमने अपने नवजात बच्चे का नाम श्री राम रखा है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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