मणिपुर: जनजातीय समूहों की रैलियों के बाद 5 दिन तक मोबाइल इंटरनेट बंद, नाइट कर्फ्यू भी रहेगा

मणिपुर के ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSUM) ने यह मार्च बुलाया था. इस यूनियन का कहना है कि 'एसटी श्रेणी में शामिल करने के लिए मैतेई समुदाय की मांगों' के विरोध के लिए इस मार्च का आयोजन किया गया.

मणिपुर: जनजातीय समूहों की रैलियों के बाद 5 दिन तक मोबाइल इंटरनेट बंद, नाइट कर्फ्यू भी रहेगा

प्रदर्शनकारियों ने मैतेई समुदाय के लिए एसटी का दर्जा देने और संरक्षित वनों की सुरक्षा की मांग को लेकर नारेबाजी की.

इंफाल:

मणिपुर के कई जिलों में आदिवासी समूहों (Manipur Tribal Protest) की रैलियों के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था (Law and Order) की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट सर्विस को निलंबित कर दिया है. बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध के साथ-साथ राज्य के कई जिलों में रात का कर्फ्यू भी लगाया गया है.

अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 'मैतेई' समुदाय को शामिल करने की मांग के विरोध में राज्य के सभी 10 पहाड़ी जिलों में एक छात्र संगठन की ओर से बुलाए गए 'आदिवासी एकजुटता मार्च' में हजारों लोग शामिल हुए.

मणिपुर के ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSUM) ने यह मार्च बुलाया था. इस यूनियन का कहना है कि "एसटी (अनुसूचित जनजाति) श्रेणी में शामिल करने के लिए मैतेई समुदाय की मांगों" के विरोध के लिए इस मार्च का आयोजन किया गया.

मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का 53% हिस्सा हैं. समुदाय के लोग मणिपुर घाटी में रहते हैं. इनका दावा है कि उन्हें "म्यांमार और बांग्लादेशियों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन" के चलते कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय के लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों में बसने की अनुमति नहीं है.

नगा बहुल सेनापति कस्बे में इसी नाम के जिला मुख्यालय और राजधानी इंफाल से लगभग 58 किमी दूर स्थित स्थानीय निकायों ने विरोध स्वरूप बाजार बंद का ऐलान किया है. सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक बाजार पूरी तरह से बंद रहेंगे. सार्वजनिक परिवहन के साधनों को भी बंद रखा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रैली में अधिकतम संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हों.

पुलिस ने कहा कि जुलूस में हजारों लोग शामिल हुए. उन्होंने तख्तियां लहराईं और मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा दिए जाने के विरोध में नारे लगाए. पुलिस ने कहा कि राज्य के दूसरे सबसे बड़े कस्बे चुराचंदपुर में लोगों ने प्रतिबंधात्मक आदेशों की अनदेखी की. वो सार्वजनिक मैदान में इकट्ठा हुए और ATSUM के प्रति समर्थन दिखाने के लिए तुइबोंग शांति मैदान तक रैली निकाली.

आरक्षित वन क्षेत्रों से ग्रामीणों को बेदखल करने के अभियान के विरोध में हिंसा के बाद पिछले सप्ताह कस्बे में अनिश्चित काल के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी गई थी. बीते हफ्ते मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के एक कार्यक्रम के लिए सुरक्षा के लिहाज से मणिपुर के अन्य हिस्सों से अतिरिक्त सुरक्षा बलों को शहर में भेजा गया था.

पुलिस ने कहा कि इसी तरह की रैलियां टेंग्नौपाल, चंदेल, कांगपोकपी, नोनी, उखरुल में भी हुईं. स्कूली छात्रों ने भी इसमें भाग लिया. इस बीच, मैतेई को एसटी का दर्जा देने के समर्थन में काकचिंग जिले के सुगनू सहित घाटी के जिलों में काउंटर नाकेबंदी की गई है. 

प्रदर्शनकारियों ने मैतेई समुदाय के लिए एसटी का दर्जा देने और आरक्षित व संरक्षित वनों की सुरक्षा की मांग को लेकर नारेबाजी की. हालांकि, खबर लिखे जाने तक राज्य में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.

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