
बॉलीवुड से आध्यात्मिक दुनिया में कदम रख चुकीं ममता कुलकर्णी ने रविवार को उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि धाम का दौरा किया. प्रयागराज महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने और फिर विवादों से सुर्खियों में आईं ममता कुलकर्णी ने कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम के साथ एक शिला दान समारोह में भाग लिया था. कुलकर्णी ने बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा और कल्कि धाम परियोजना के महत्व के बारे में बताया.
Noida, Uttar Pradesh: Actress turned sadhvi Mamta Kulkarni says, "I believe I am a part of Maha Bhagwati herself, and the Mother of the Universe has sent me to this earth for such divine purposes. I had gone to the Kumbh Mela to take a holy dip, but I returned as a Maha… pic.twitter.com/LiLtqyd2qB
— IANS (@ians_india) May 31, 2025
मैंने कल्कि अवतार को देखा...
ममता कुलकर्णी ने कहा कि मैं आचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा कल्कि धाम के सुंदर कार्य को करने के संकल्प पर गर्व महसूस करती हूं. मुझे यहां एक शिला दान करने का सौभाग्य मिला. शायद यह मेरे पिछले जन्म के ही कुछ अच्छे कर्मों का परिणाम है कि मुझे इस जन्म में यह अवसर मिला है.' इसके साथ ही ममता कुलकर्णी ने ये भी दावा किया कि उन्होंने ध्यान की अवस्था में कल्कि के अवतार को देखा था.
मीडिया संग बातचीत में साध्वी ममता कुलकर्णी ने कहा, "मेरे ही गोत्र में भगवान परशुराम का जन्म हुआ है.परशुराम ही कल्कि के गुरू हैं. जब मैं समाधि के ध्यान में थीं, तब मैंने कल्कि अवतार को देख लिया. काफी सालों से पहाड़ पर तपस्या कर रहे हैं."
जितना मैं धर्म के लिए लोगों को जोड़ पाऊं...
ममता ने अपने भविष्य की योजना पर भी बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जितना मैं धर्म के लिए लोगों को जोड़ पाऊं, लोगों को सनातन धर्म से जोड़ सकूं. फिलहाल तो यही मेरी कोशिश रहेगी कि धर्म की स्थापना हो और अधर्म का विनाश हो. अभिनेत्री और किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी रविवार को श्री कल्किधाम में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए संभल पहुंचीं थीं. कार से उतरते ही पुजारियों ने उनका स्वागत करते हुए उन्हें पीले रंगा का पटका पहनाया. साथ ही फूलों की बारिश की.
जगत जननी ने मुझे इसी काम के लिए भेजा
इससे पहले ममता कुलकर्णी ने कहा था कि जगत जननी ने मुझे इसी काम के लिए भेजा है. मैं प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला में स्नान करने गई थी. लेकिन, वहां से महामंडलेश्वर बनकर लौटी. यह समझना मुश्किल है कि भगवान किस उद्देश्य से और कहां जाने का आदेश देते हैं. मैं इसे भगवान की इच्छा पर छोड़ देती हूं, यह विश्वास रखते हुए कि श्री कल्किधाम की यात्रा और शिला दान का कार्य भी भगवती की इच्छा या किसी विशेष प्रयोजन से प्रेरित है.
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