पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि वो 22 जनवरी को कोलकाता के कालीघाट मंदिर जाएंगी, जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन समारोह होगा. उन्होंने मीडिया से कहा कि आप सभी मुझसे विभिन्न मंदिरों के बारे में पूछते रहते हैं. मुझे इसके बारे में कुछ नहीं कहना है. मैं कहती हूं कि धर्म एक व्यक्तिगत मुद्दा है, त्योहार सभी के लिए हैं. हम 23 जनवरी, 26 जनवरी मनाते हैं. 22 जनवरी को हम एक रैली करेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा, "पूर्वी भारत के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में से एक कालीघाट में पूजा करने के बाद वो अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से एक रैली करेंगी. इस 'सर्व धर्म (सभी धर्म) रैली' में सभी समुदायों के लोग शामिल होंगे और अपने रास्तों में पड़ने वाले मंदिरों, चर्चों, गुरुद्वारों और मस्जिदों सहित विभिन्न धार्मिक स्थानों में जाएंगे."
ममता बनर्जी ने कहा, उस दिन तृणमूल 'स्नेह' थीम के साथ पूरे बंगाल में ब्लॉक-वार रैलियां भी आयोजित करेगी. उनकी पार्टी ने कहा है कि सभी धर्म समान हैं और रैली में सभी धर्मों और समुदायों के लोग मौजूद रहेंगे.
गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने भी कई विपक्षी नेताओं की तरह अयोध्या राम मंदिर अभिषेक से दूर रहने की योजना बनाई है. उन्होंने इसे 'राजनीतिक नौटंकी' बताते हुए मना कर दिया है.
ममता बनर्जी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर चौधरी, सीपीएम के सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अभिषेक समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
ऐसे में पहले तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली बीजेपी ने अब उन्हें "हिंदू विरोधी" करार दिया है. बीजेपी ने एक्स पर पोस्ट किए पोस्टर में कैप्शन के साथ लिखा, "सनातन विरोधियों के चेहरे पहचान लें, जिन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है."
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