कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का ऐलान करने के एक दिन बाद वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने आज ऐलान किया कि वे इस रेस से बाहर हो रहे है. यह फैसला मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को गांधी परिवार की ओर से समर्थित उम्मीदवार के तौर पर रखे जाने के बाद आया है. 75 वर्षीय दिग्विजय सिंह ने कहा, "खड़गे जी मेरे नेता और मेरे वरिष्ठ हैं. मैंने कल उनसे पूछा था कि क्या वह चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि नहीं. मैं आज फिर उनसे मिला. मैंने उनसे कहा कि अगर आप चुनाव लड़ रहे हैं तो मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं. मैं आपके खिलाफ जाने की सोच भी नहीं सकता." कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए दो वरिष्ठ नेताओं शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पर्चा भरा है.
दिग्विजय सिंह ने इस पद के लिए रेस में शामिल होने से पहले, मौजूदा कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की थी. सूत्र बताते हैं कि दिग्विजय इस बात से भली भांति अवगत थे कि उनका रोल एक डमी कैंडिडेट के तौर पर था जब तक कि गांधी परिवार अपनी पसंद को लेकर फैसला नहीं कर लेता. उनका शुरुआती समर्थन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के पक्ष में था लेकिन जब गहलोत से स्पष्ट तौर पर कहा गया कि पार्टी अध्यक्ष के तौर पर सेवा देने के लिए उन्हें अपना राजस्थान के सीएम का पद छोड़ना होगा. गांधी परिवार की बात करें तो यह रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान के लिए यह लंबे समय से चल रही समस्या के त्वरित समाधान के तौर पर था. 45 साल के सचिन पायलट, सीएम पद पर निगाह जमाए हुए हैं, जब पार्टी ने वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव जीता था तो पायलट से वादा किया गया था कि वे और गहलोत इस पद को बारी-बारी से शेयर करेंगे. गहलोत के दिल्ली 'मूव' करने पर गांधी परिवार के पास पायलट के रूप में पार्टी पायलट के रूप में राजस्थान सरकार के प्रमुख के तौर पर एक विश्वस्त सहयोगी होता. यह एक तरह से एक तीर से दो शिकार की तरह था. बहरहाल, हाल के घटनाक्रम के बाद अब गहलोत ने भी खुद को पार्टी अध्यक्ष पद चुनाव की रेस से बाहर कर लिया है.
गौरतलब है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने के बाद दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को कहा था कि वह पार्टी प्रमुख पद का चुनाव लड़ेंगे और शुक्रवार को नामांकन करेंगे. उन्होंने इसके लिए 10 नामांकन पत्र भी लिए थे. मध्य प्रदेश कांग्रेस के 12 विधायक भी उनका प्रस्तावक बनने को तैयार थे लेकिन आज नामांकन के आखिरी दिन 80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे की एंट्री के बाद दिग्विजय ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. गहलोत, जो पहले गांधी परिवार के सबसे बेहतर पसंद थे, ने राजस्थान में अपने समर्थक विधायकों के विद्रोह की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कल कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से खुद को बाहर कर लिया था. उनके समर्थक विधायकों ने पिछले रविवार (25 सितंबर) को पार्टी पर्यवेक्षकों द्वारा बुलाई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था और समानांतर बैठक कर ये मांग की थी कि अगर गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें राज्य में अपना उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार दिया जाय. पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता माना था.राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और अध्यक्ष पद चुनाव से बाहर होने की घोषणा करने से पहले उन्हें एक माफी पत्र सौंपा था.
गहलोत ने कहा कि उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की 'अनुशासनहीनता' के लिए 'नैतिक जिम्मेदारी' लेते हुए माफी मांगी थी और अब वे अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेगे. उन्होंने यह भी कहा था कि वे सोनिया गांधी अकेले तय करेंगी कि क्या वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. गहलोत ने कहा, "मेरे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं हैं. आलाकमान जो भी फैसला करेगा, मैं वह करूंगा." उन्होंने कहा कि वह करीब 50 सालों से विभिन्न पदों पर हैं, और वे अब उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं.माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिए खड़गे का चुना जाना लगभग निश्चित है.
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