दवा कंपनी माइक्रो लैब्स ने बुखार और शरीर के दर्द की रोकथाम में इस्तेमाल होने वाली अपनी दवा ‘डोलो 650' को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सकों को 1,000 करोड़ रुपये के उपहार देने संबंधी आरोपों को निराधार बताया है. एक गैर सरकारी संगठन ने बृहस्पतिवार (18 अगस्त) को उच्चतम न्यायालय को बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बेंगलुरु की दवा कंपनी पर चिकित्सकों को 1,000 करोड़ रुपये के उपहार देने के आरोप लगाए हैं जिससे कि वे मरीजों को परामर्श में यह दवा लिखें.
माइक्रो लैब्स के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि मीडिया में आई कुछ खबरों में ऐसा निराधार आरोप लगाया गया है कि ‘डोलो 650' को बढ़ावा देने के लिए कंपनी ने एक साल में 1,000 करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार वितरित किए हैं. प्रवक्ता ने कहा कि यह दावा पूरी तरह से भ्रामक है और इससे माइक्रो लैब्स, दवा उद्योग और चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है.
‘डोलो 650' की सालाना बिक्री 360 करोड़ रुपये रही है, जो कंपनी की कुल बिक्री का करीब आठ प्रतिशत है. प्रवक्ता ने कहा कि ‘डोलो 650' जैसे किफायती विकल्प के साथ, देश भर के चिकित्सक महामारी में महंगी एंटीवायरल और अन्य दवाओं का सहारा लिए बिना अपने अधिकांश रोगियों को ठीक कर पाए.
प्रवक्ता ने कहा कि एक हजार करोड़ रूपये के मुफ्त उपहारों का वितरण करने की बात ही बेतुकी है. उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी स्पष्ट करना चाहती है कि जिस राशि के बारे में बात हो रही है वह पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत में कंपनी के समूचे कारोबार में कुल बिक्री और विपणन व्यय से संबंधित है.''
प्रवक्ता ने कहा कि चिकित्सकों ने यह दवा इसकी गुणवत्ता, बुखार से जल्द राहत और तीन दशक से भी अधिक समय में बनाए गए भरोसे के आधार पर लिखी है.
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