प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘मेक इन इंडिया' पहल वैश्विक वृद्धि के इंजन को रफ्तार देने के साथ दुनिया की अर्थव्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने में भी मदद कर सकती है. उन्होंने विविध, विश्वसनीय और जुझारू आपूर्ति शृंखलाओं के सृजन पर भी जोर दिया.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की विस्तारित बैठक में मोदी का यह संबोधन पढ़कर सुनाया गया. अस्ताना में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में शिरकत के लिए आए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण को पढ़ा.
विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के हवाले से एक बयान में कहा कि भारत में 100 यूनिकॉर्न समेत 1.30 लाख स्टार्टअप होने से इसका अनुभव दूसरों के लिए उपयोगी हो सकता है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज की ज़रूरत विभिन्न, विश्वसनीय और जुझारू आपूर्ति शृंखलाओं का सृजन है. कोविड के अनुभव से मिली यह एक महत्वपूर्ण सीख है. ‘मेक इन इंडिया' वैश्विक वृद्धि के इंजन को रफ्तार दे सकता है और दुनिया की अर्थव्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने में मदद कर सकता है. भारत क्षमता निर्माण में दूसरों के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है, खासकर वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ.”
उन्होंने कहा, “डिजिटल युग को अधिक विश्वास और पारदर्शिता की जरूरत है. कृत्रिम मेधा (एआई) और साइबर सुरक्षा अपने-आप में अहम मुद्दे खड़े करते हैं.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत ने दिखाया है कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और डिजिटल वित्तीय समावेशन बहुत बड़ा अंतर ला सकते हैं. एससीओ की हमारी अध्यक्षता के दौरान इन दोनों पर चर्चा की गई थी. वे एससीओ सदस्यों और भागीदारों को शामिल करते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का दायरा भी बढ़ाते हैं.''
इसके साथ ही मोदी ने चीन पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘यदि इसे गंभीरता से आगे बढ़ाना है, तो इसके लिए कई लोगों के संयुक्त प्रयासों की जरूरत है. इसे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान भी करना चाहिए तथा पड़ोसियों के साथ गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार एवं पारगमन अधिकारों की नींव पर इसे खड़ा किया जाना चाहिए.''
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शिखर सम्मेलन में उपस्थित थे. चीन ने 65 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना के तहत पाकिस्तान में विभिन्न बिजली परियोजनाओं और सड़क नेटवर्क में अरबों डॉलर का निवेश किया है. भारत इस परियोजना का विरोध कर रहा है क्योंकि इसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है.
प्रधानमंत्री ने एससीओ के विस्तारित सदस्यों के लिए कहा, ‘‘हम भारत और ईरान के बीच दीर्घकालिक समझौते के जरिये हाल ही में चाबहार बंदरगाह पर हुई प्रगति को रेखांकित करते हैं. यह न केवल भूमि से घिरे मध्य एशियाई देशों के लिए बेहद अहम है, बल्कि भारत और यूरेशिया के बीच वाणिज्य को भी जोखिम से मुक्त करता है.''
प्रधानमंत्री मोदी ने अंग्रेजी को संगठन की तीसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग रखते हुए कहा कि अधिक देश पर्यवेक्षकों या संवाद भागीदारों के रूप में एससीओ के साथ जुड़ना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत एक ‘विश्व बंधु' के तौर पर अपने सभी भागीदारों के साथ सहयोग को गहरा करने का हमेशा प्रयास करेगा. उन्होंने एससीओ के अगले अध्यक्ष बनने जा रहे चीन को शुभकामनाएं भी दीं.
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