नीट-यूजी परीक्षा 2025 में राजस्थान के महेश केसवानी ने देश भर में टॉप किया है. एनडीटीवी से बातचीत के दौरान महेश ने अपनी सफलता को लेकर बातचीत की. महेश ने बताया कि जब रिजल्ट आया था तो यह कंफर्म नहीं था कि फर्स्ट रैंक आएगी, लेकिन अच्छी रैंक की उम्मीद थी. साथ ही महेश हिंदी मीडियम से हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी मीडियम वालों को दिक्कत तो आती है. साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे हिंदी मीडियम से होने के बावजूद उन्होंने नीट में टॉप किया. साथ ही अपने जूनियर्स के लिए भी उन्होंने सक्सेस मंत्र शेयर किया है.
महेश केशवानी ने कहा कि मैं 11 क्लास में कोचिंग में आया तो मुझे कभी भी कुछ सोचना ही नहीं पड़ा कि मुझे क्या करना है. कोचिंग की तरफ से जो भी गाइडेंस मिली, जो भी टेक्स्ट मिला, जो भी नोट्स प्रोवाइड करवाए गए, जो भी मॉड्यूल प्रोवाइड करवाए गए उन्हें करता चला गया. कोचिंग की जो भी गाइडेंस मुझे मिल रही थी, उसे मैं फॉलो करता रहा.

अपने पिता के साथ NEET टॉपर महेश केशवानी.
हिंदी मीडियम को लेकर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि हिंदी मीडियम के छात्रों को दिक्कत तो आती है, ज्यादातर सलेक्ट होने वाले बच्चे इंग्लिश मीडियम से होते हैं. टॉपर्स भी ज्यादातर इंग्लिश मीडियम से ही होते हैं. लेकिन इस समस्या से निपटने में मेरे कोचिंग इंस्टीट्यूट से मुझे पूरा सपोर्ट मिला. कैसे पेपर में अपना टाइम मैनेजमेंट करना है, कैसे बायोलॉजी को हिंदी-इंग्लिश दोनो में अटेम्प्ट करना है, यह चीजें मुझे कोचिंग में बताई गई थी.
उन्होंने कहा कि अनएक्सपेक्टेड पेपर देखने के बाद जब बाहर आए तो मोरल डाउन होना ही था, लेकिन आने वाले कुछ दिनों में जब मैंने कोचिंग की आंसर की से अपना स्कोर जोड़ा तो मुझे पता लगा कि आसपास इतना स्कोर कहीं है ही नहीं. तब कहीं न कहीं हम अच्छी रैंक की उम्मीद कर रहे थे. आज भी जब रिजल्ट आया था तो यह कंफर्म नहीं था कि फर्स्ट रैंक आएगी, लेकिन अच्छी रैंक की उम्मीद थी.

NEET टॉपर महेश केशवानी के पिता रमेश केशवानी पेशे से शिक्षक हैं.
परीक्षा के दौरान महेश ने क्या किया?
परीक्षा को लेकर उन्होंने बताया कि मुझे सबसे मुश्किल फिजिक्स लगी और इसी कारण से मैंने सबसे पहले फिजिक्स से ही शुरुआत की थी. लेकिन जब उसके सवाल मुश्किल लगे तो मैं उसे छोड़कर एक बार केमेस्ट्री पर चला गया. मैंने केमेस्ट्री और बायो बहुत ही जल्दी में की. शायद इसी वजह से मेरे एक-दो ऐसे सवाल भी गलत हो गए जो मेरी मूर्खतापूर्ण गलती थी. जो मेरे सही हो सकते थे. उसके बाद वापस मैं फिजिक्स पर आया और फिजिक्स के लास्ट वाले 20 प्रश्न मैंने एक साथ कर दिए क्योंकि लास्ट के 20 प्रश्न मेरे पेपर के कोड 45 में आसान थे. उसके बाद मैंने मुश्किल सवालों पर ध्यान दिया और उनमें से भी ज्यादा को कर दिया.
माता-पिता ने कभी दबाव नहीं डाला: महेश केशवानी
उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने घर में स्टडी का माहौल बहुत अच्छा बनाने में मदद की. कहीं न कहीं हमारे आसपास का जो एंवायरमेंट होता है, उसका हम पर बहुत ही ज्यादा असर पड़ता है और पॉजिटिव एंवायरमेंट हमारे घर में हमेशा से ही था. उसके बाद जब मैं घर को छोड़कर के यहां पर हॉस्टल में आया तब भी इन्होंने (माता-पिता) मुझे कभी प्रेशराइज नहीं किया. मेरी परफॉर्मेंस चाहे अच्छी हो या बुरी हो, इन्होंने हमेशा यह कहा कि मेहनत में नियमितता बनाए रखना और नियमित मेहनत करते रहना.
उन्होंने अपने जूनियर्स को कहा कि आपको अपना दिमाग कहीं पर भी लगाने की जरूरत नहीं है. आपको अपने कोचिंग की जो गाइडेंस मिल रही है, जो टेक्सट सीरीज मिल रही है उसे ब्लाइंडली फॉलो करते रहना है.
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