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This Article is From Sep 13, 2022

तेंदुए से बचने के लिए नदी में कूदी महिला, 13 घंटे में 70 किलोमीटर तक तैरती रही

हैरान कर देने वाली ये कहानी जलगांव के कोलम्बे गांव की है और मौत को मात देकर आई महिला का नाम लताबाई दिलीप कोली है.

तेंदुए से बचने के लिए नदी में कूदी महिला की बची जान

जलगांव:

जाको राखे साइयां मार सके ना कोय!...महाराष्ट्र के जलगांव में एक महिला के साथ ये कहावत चरितार्थ हुई है. तेंदुए से बचने के लिए नदी में कूदी महिला तकरीबन 70 किलोमीटर तक नदी में बहती रही. उस दौरान नदी में पड़ने वाले बांध से भी वो गिरी. विसर्जन के दिन गणेश मूर्ति भी उसके सिर पर गिरी लेकिन किसी की नज़र उस पर नहीं पड़ी. आखिरकार खुद होकर वो किनारे लगी और उसकी जान बच गई. इस दौरान भगवान का जाप और केले का तना उसका सहारा बना .

हैरान कर देने वाली ये कहानी जलगांव के कोलम्बे  गांव की है और मौत को मात देकर आई महिला का नाम लताबाई दिलीप कोली है. हुआ ये कि लताबाई अपने खेत में मूंगफली निकालने गई थी तभी उनकी तरफ  कुत्ता  भागता हुआ आया . लता बाई ने बताया कि कुत्ता क्यों भाग रहा देखा तो  तेंदुए का बच्चा उसके पीछे लगा हुआ था. लता बाई डर गई और उससे बचने के लिए खेत के बगल में स्थित तापी नदी में कूद गई. लता बाई को लगा कि वो दूसरी तरफ निकल जाएंगी लेकिन प्रवाह इतना तेज था कि वो बहने लगी.

इस बीच शाम हो गई जब वो घर वापस नही लौटी तो घरवालों ने खोज बीन शुरू की लेकिन उनका कुछ भी पता नही चला. लता बाई के मुताबिक नदी में उन्हें केले का एक तना बहता मिला जिसे उन्होंने पकड़ लिया और उसी के सहारे वो पानी के प्रवाह के साथ आगे बढ़ती रही.

लता बाई ने बताया कि उन्हें नदी पर बना पाडलसरे बांध भी मिला . उन्होंने उसे पकड़कर बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन पानी का प्रवाह इतना तेज था कि वो बांध के उसपार नदी में गिर गई. 

उसके बाद भी बहते हुए वो नदी पर बने एक पूल के नीचे  पहुंची जहां लोग गणेश विसर्जन कर रहे थे.  लेकिन वहां भी उनपर किसी की नज़र नही पड़ी . आखिरकार अमलनेर के पास किसी तरह वो नदी के किनारे आईं तब आसपास के लोगों की उनपर नजर पड़ी . स्थानीय लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया और फिर उनके घर वालों को सूचना दी.

तकरीबन 13 घंटे नदी में  70 किलोमीटर  बहकर सकुशल घर लौटने से लताबाई के घर - परिवार में खुशी का माहौल है. घर लौटने पर लता बाई की आरती उतारी गई. लता बाई के मुताबिक भगवान और केले के तने की वजह से उनकी जान बची है इसलिए वो अब हर साल उस दिन केले के तने की पूजा करेंगी.

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