मुंबई:
महाराष्ट्र में सरकारें बदल जाएं.. पार्टियां बदल जाएं, लेकिन मंत्रियों का रवैया नहीं बदलता. कभी अजीत पवार सूखाग्रस्त लोगों की परेशानी का मज़ाक उड़ाते थे, अब राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री विष्णु सावरा कह रहे हैं 'कुपोषण से मर गए तो मर गए'.
मंत्री विष्णु सावरा ने कहा, 'अरे भाई मर गए तो मर गए न. अब उसका क्या? कोशिश इसके आगे ऐसा न हो ये है'.
बीजेपी की सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्री विष्णु सावरा का ये बयान उनके लिए भारी पड़ सकता है. राज्य में कुपोषण से आदिवासियों की बढ़ती मौतों की संख्या को लेकर उनकी ये टिप्पणी तब आई, जब वे अपने चुनाव क्षेत्र में दौरे पर थे. मंत्रीजी के दौरे को लेकर गुस्सा इसलिए भी था, क्योंकि वे दो हफ्ते बाद उस परिवार से मिले, जहां कुपोषण से मौत हुई थी.
इसको लेकर एनसीपी नेता चित्रा वाघ का कहना है कि आज इतनी बड़ी घटना हुई है. उसके 15 दिन के बाद आप गए और 600 बच्चे मर गए. ये आपका कहना संवेदनहीन नहीं तो और क्या कहेंगे? उन्हें खुद पद से उतरना चाहिए.
दरअसल, ये पूरा विवाद आदिवासी कल्याण मंत्री के चुनावक्षेत्र पालघर ज़िले में कुपोषण से हुई मौतों के आंकड़ों से जुड़ा है. राज्य सरकार कहती है कि 1 अप्रैल 2015 से जुलाई 2016 तक 683 बच्चे कुपोषण के शिकार हो चुके हैं, जबकि विपक्ष दुगनी मौतें होने का दावा कर रहा है.
मंत्री विष्णु सावरा ने कहा, 'अरे भाई मर गए तो मर गए न. अब उसका क्या? कोशिश इसके आगे ऐसा न हो ये है'.
बीजेपी की सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्री विष्णु सावरा का ये बयान उनके लिए भारी पड़ सकता है. राज्य में कुपोषण से आदिवासियों की बढ़ती मौतों की संख्या को लेकर उनकी ये टिप्पणी तब आई, जब वे अपने चुनाव क्षेत्र में दौरे पर थे. मंत्रीजी के दौरे को लेकर गुस्सा इसलिए भी था, क्योंकि वे दो हफ्ते बाद उस परिवार से मिले, जहां कुपोषण से मौत हुई थी.
इसको लेकर एनसीपी नेता चित्रा वाघ का कहना है कि आज इतनी बड़ी घटना हुई है. उसके 15 दिन के बाद आप गए और 600 बच्चे मर गए. ये आपका कहना संवेदनहीन नहीं तो और क्या कहेंगे? उन्हें खुद पद से उतरना चाहिए.
दरअसल, ये पूरा विवाद आदिवासी कल्याण मंत्री के चुनावक्षेत्र पालघर ज़िले में कुपोषण से हुई मौतों के आंकड़ों से जुड़ा है. राज्य सरकार कहती है कि 1 अप्रैल 2015 से जुलाई 2016 तक 683 बच्चे कुपोषण के शिकार हो चुके हैं, जबकि विपक्ष दुगनी मौतें होने का दावा कर रहा है.
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