"शरद पवार को हमारी मंशा के बारे में मालूम था": NCP में अजित पवार की बगावत पर बोले प्रफुल्ल पटेल

एनसीपी के बागी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा- "शरद पवार मेरे गुरु हैं. आज भी, कल भी और हमेशा वो मेरे गुरु रहेंगे. मुझे जिंदगी में कभी भी मुश्किल घड़ी में कोई सलाह-मशवरा या मार्गदर्शन की जरूरत पड़ेगी, तो मैं उनके पास ही जाऊंगा."

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र की सियासत (Maharashtra Crisis) में तेजी से घटनाक्रम बदल रहे हैं. शरद पवार (Sharad Pawar)के भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) के एनसीपी में बगावत करने और शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो जाने के बाद अब पार्टी पर दावे की लड़ाई है. इसके लिए एनसीपी के शरद पवार गुट और अजित पवार गुट ने बुधवार को अहम मीटिंग बुलाई है. अजित पवार ने एनसीपी के सभी नेताओं और सांसदों को बुधवार की मीटिंग में मौजूद रहने को कहा है. ऐसा माना जा रहा है कि अजित पवार मीटिंग में पार्टी पर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. इस बीच NDTV ने बागी एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) से खास बातचीत की. पटेल ने अजित पवार की बगावत पर कहा कि इसे एनसीपी का फैसला ही माना जाना चाहिए. 

प्रफुल्ल पटेल ने कहा- "जो भी फैसला हमने लिया है वो एनसीपी के नाते ही लिया है. करीब-करीब सभी विधायकों, वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का यही मानना रहा है कि हमे सरकार के साथ जाना चाहिए." शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की जोड़ी आखिर कैसे टूट गई? इसके जवाब में उन्होंने कहा-"शरद पवार मेरे गुरु हैं. आज भी, कल भी और हमेशा वो मेरे गुरु रहेंगे. मुझे जिंदगी में कभी भी मुश्किल घड़ी में कोई सलाह-मशवरा या मार्गदर्शन की जरूरत पड़ेगी, तो मैं उनके पास ही जाऊंगा. हम अलग नहीं हुए हैं. ठीक है इस मामले में मेरी और उनकी सोच अलग है. इसलिए हमने ये फैसला लिया. इसमें पवार साहब के खिलाफ जाकर कुछ करने जैसी कोई बात नहीं है."

शरद पवार को मंशा के बारे में थी जानकारी-पटेल
बागी एनसीपी नेता ने कहा- "शरद पवार हमारे लिए आदरणीय हैं. उनके लिए सम्मान और आदर हमेशा है ही." क्या शरद पवार को इस बगावत की सारी जानकारी थी? क्या वो इससे वाकिफ थे कि आप अलग गुट बनाकर बीजेपी-शिवसेना के साथ जा रहे हैं? इन सवालों के जवाब में प्रफुल्ल पटेल ने कहा-"कोई सरकार बन रही है ऐसा तो कुछ नहीं था कि जानकारी होगी. हां... पवार साहब को हमारी मंशा तो मालूम ही थी. एकनाथ शिंदे की बगावत के वक्त जब हमारी गठबंधन सरकार गिरने वाली थी, तब एनसीपी के करीब-करीब सभी विधायकों ने कहा था कि हो सके तो हमें बीजेपी के साथ सरकार बनानी की कोशिश करनी चाहिए. उस वक्त बात नहीं बनी, क्योंकि एकनाथ शिंदे और बीजेपी की सरकार बन चुकी थी."

प्रफुल्ल पटेल ने कहा-  "पिछले कुछ महीने से भी हमारे बीच बात हो रही थी कि हमें सरकार के साथ काम करना चाहिए. ऐसे में उन्हें (शरद पवार) जानकारी न हो, लेकिन थोड़ा बहुत अंदाजा तो था ही कि हमारी मंशा क्या है? इसलिए मैं समझता हूं कि शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल होने को एनसीपी का ही फैसला माना जाना चाहिए."

शरद पवार साहब को हमारे साथ आना चाहिए-प्रफुल्ल पटेल
क्या शरद पवार ने ऐसा कहा कि आप लोगों को जाना है तो जाइए, मगर मैं नहीं जाऊंगा? सरकार में शामिल होने को लेकर पूछे गए इस सवाल पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "हम तो चाहेंगे कि शरद पवार साहब को हमारे साथ रहना चाहिए. उन्हें सब अपना परिवार मानते हैं. हम चाहते हैं कि हमारा परिवार अच्छे तरीके से चलता रहे. विचारधारा की बात जहां तक थी, वो तो खत्म हो गई. हमें ऐसी कोई वैचारिक बात कही नहीं है, जिससे किसी को आपत्ति होनी चाहिए."

मोदी जी का नेतृत्व आज सभी को स्वीकार्य-पटेल
प्रफुल्ल पटेल ने NDTV से कहा- "BJP महाराष्ट्र में कोई छोटी पार्टी नहीं है. उसके साथ सरकार बनाने से राज्य का भला होगा. सरकार में स्थिरता भी बनी रहेगी. राष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जाए तो मोदी जी का नेतृत्व आज सभी को स्वीकार्य है. वो देश के ही नहीं, दुनिया में भी लोकप्रिय नेता हैं. उनके पीएम काल में विदेश में भारत की काफी ख्याति बढ़ी है. इन सब चीजों को लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए."

शिवसेना के साथ हमारी कभी बनी नहीं
प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "लीडरशिप के साथ मोहभंग की बात नहीं है. ये राजनीतिक फैसला है. हमने एमवीए बनाई, तो तीन पार्टियों ने साथ में सरकार बनाई. शिवसेना के साथ हमारी कभी बनी नहीं. शिवसेना के लोग सबसे ज्यादा शरद पवार की निंदा करते थे. बीजेपी और शिवसेना की विचारधारा एक थी. जबसे वो उनके साथ गए तो विचारधारा की बात खत्म हो गई. जो फैसला लिया तो कोई आपत्ति वाली बात नहीं होनी चाहिए."


एनसीपी का सांसद हूं, एनसीपी में ही रहूंगा
अलग पार्टी बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, " हमारी नई पार्टी का सवाल नहीं है. मैं एनसीपी का सांसद हूं. एनसीपी में ही रहूंगा." उन्होंने आगे कहा, "सुप्रिया सुले और अजित पवार का तालमेल नहीं करूंगा. कोई भी पार्टी जब होती, तो विचार भी अलग होते हैं. हर आदम की सोच अलग होती है. सबसाथ में फैसला करते हैं, तो काम होता है. आज भी फैसला सबकी सहमति से हुआ."


 

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