संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और देशभर में प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ दलित नेता प्रकाश आम्बेडकर की पार्टी के शुक्रवार को आहूत ‘महाराष्ट्र बंद' के मद्देनजर राज्य भर में बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है और इस दौरान सार्वजनिक परिवहन सेवाएं एवं जनजीवन पर खास असर नहीं पड़ा. वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है. मुंबई में यातायात बाधित करने की कुछ घटनाओं और पथराव की छिट-पुट घटनाओं को छोड़कर शहर में बंद का कोई खास असर नहीं देखने को मिला.
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एक अधिकारी ने बताया कि उपनगर चेम्बुर में स्वस्तिक पार्क के निकट अज्ञात लोगों ने एक ‘बेस्ट' बस पर पथराव किया और ठाणे के तीन हाथ नाका पर बड़ी संख्या में वीबीए समर्थक एकत्र हुए. उन्होंने बताया कि पुलिस ने कई वीबीए कार्यकर्ताओं को उस समय हिरासत में ले लिया जब घाटकोपर में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर उन्होंने कुछ वाहनों को रोकने की कोशिश की. अधिकारी ने बताया कि कुर्ला, सायन-ट्रॉम्बे रोड, बाइकला, दादर, वडाला और अंधेरी जैसे इलाकों में बंद का आशिंक असर देखा गया.
वीबीए ने दावा किया है कि बंद को श्रमिक संघों के अलावा 50 से अधिक राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों ने समर्थन दिया है. आम्बेडकर ने कहा कि कई गैर सरकारी संगठन और नागरिक समूहों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं लेकिन किसी राजनीतिक दल ने अब तक ऐसा नहीं किया है. इसलिए वे प्रदर्शन कर रहे है.
अधिकारी ने बताया कि बंद के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्यभर में पुलिस ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं. इस बीच, ट्रेन समेत सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर बंद का कोई असर नहीं पड़ा. वहीं, द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में पार्टी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में शुक्रवार को ‘व्यापक' हस्ताक्षर अभियान चलाने का संकल्प लिया.
उन्होंने कहा कि सीएए वापस लिया जाना चाहिए और तमिलनाडु में एनपीआर की गतिविधियां नहीं होने दिया जाना चाहिए और एनआरसी की तैयारी का प्रयास नहीं होना चाहिए. इस संबंध में द्रमुक की अध्यक्षता वाली कांग्रेस और एमडीएमके समेत सहयोगी पार्टियों के साथ बैठक में एक प्रस्ताव स्वीकृत किया गया.
स्टालिन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने इस संबंध में चार फरवरी से आठ फरवरी तक व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया है.'' उन्होंने कहा कि इन हस्ताक्षरों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपने का फैसला किया गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं