लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद विधानसभा चुनाव पर नजर टिकाए कांग्रेस-राकांपा सरकार ने बुधवार को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में मराठा के लिए 16 प्रतिशत और मुसलमानों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी।
राजनीतिक रूप से प्रभावी मराठा समुदाय और मुसलमानों के लिए कुल 21 प्रतिशत आरक्षण को आज कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़कर 73 प्रतिशत पहुंच गई है।
कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा, 'मराठा समुदाय को शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा तबका माना जा रहा है और उनके लिए 16 प्रतिशत कोटा तय किया गया है। मुसलमानों का कोटा धर्म आधारित नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन पर आधारित है।'
उन्होंने कहा कि यह 'तत्काल प्रभाव' से लागू होगा और यह पहले से मौजूद 52 प्रतिशत आरक्षण से इतर होगा।
आरक्षण के लिए अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर नए कोटे की वैधानिकता के संबंध में किए गए सवाल पर चव्हाण ने कहा, 'यदि कोई अदालत पहुंचता है तो हम अपना पक्ष रखेंगे।'
वहीं, राज्य में विपक्षी दल शिवसेना और भाजपा ने मुस्लिमों को दिए आरक्षण पर आपत्ति जताते हुए इस असंवैधानिक बताया है।
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