फिल्म स्टार सूर्या शिवकुमार (Suriya Sivakumar) को तीन मेडिकल छात्रों की कथित आत्महत्या को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय पर की गई अपनी टिप्पणी के लिए अवमानना (Contempt) के मामले का सामना नहीं करना पड़ेगा. मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अभिनेता की टिप्पणी "अनावश्यक और अनुचित" है. हालांकि, फैसले में कहा कि उन पर अवमानना की कार्यवाही नहीं होगी.
अदालत ने कहा, "सिने एक्टर की ओर से दिया गया कथन अनावश्यक और अनुचित है." कोर्ट ने कहा, "हमारे विवेकपूर्ण नजरिये से यह मामला आगे बढ़ाने लायक नहीं है. हम एडवोकेट जनरल की ओर से दिए गए विचार से पूरी तरह से सहमत हैं."
इससे पहले, मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस एम बालासुब्रमण्यम ने सूर्या शिवकुमार के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था.
मद्रास उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में जस्टिस एस एम बालासुब्रमण्यम ने कहा था, "मेरी राय में उक्त कथन न्यायालय की अवमानना के बराबर है. इसमें न सिर्फ माननीय न्यायाधीशों की निष्ठा और भक्ति और हमारे देश की महान न्यायिक प्रणाली को भी कमतर दिखाया गया बल्कि बुरी तरह से आलोचना भी की गई. यह न्यायपालिका पर जनता के विश्वास के लिए खतरा है."
सूर्या ने नीट से जुड़ी मौत की घटनाओं को "दर्दनाक" और "अंतरात्मा को झकझोर" देने वाली करार देते हुए कहा था कि कोरोना वायरस खतरे को देखते हुए कोर्ट, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए न्याय दे रहा है, ने छात्रों को बिना डरे जाने और परीक्षा देने का आदेश दिया है."
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