मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत की खबरें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. मंगलवार को नेशनल पार्क में एक चीते के शावक की मौत हो गई, जिसके बाद यहां मरने वाले चीतों की संख्या चार तक पहुंच गई है. इनमें अफ्रीका से लाए गए तीन चीते भी शामिल हैं. मंगलवार को मादा चीता ज्वाला के शावक की मौत हो गई. वन विभाग ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया कि प्रथम दृष्टया चीता शावक की मौत कमजोरी के चलते हुई है.
वन विभाग ने प्रेस नोट जारी कर कहा, "मादा चीता ज्वाला की मॉनिटरिंग टीम ने उसे अपने शावकों के साथ एक जगह बैठा पाया. कुछ देर बार वह अपने शावकों के साथ जाने लगी. तीन शावक उसके साथ जाते देखे गए और एक शावक वहीं पर लेटा रहा. इस पर मॉनिटरिंग टीम ने पशु चिकित्सकों को सूचना दी तो वे मौके पर पहुंचे और उसे आवश्यक उपचार दिया लेकिन शावक की मौत हो गई."
वन विभाग ने बताया कि ऐसा लगता है कि शावक की मौत कमजोरी के कारण हुई क्योंकि वह जन्म से ही कमजोर था. चीता ज्वाला को सितंबर 2022 में नामीबिया से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था. उसे पहले सियाया नाम से जाना जाता था. उसने इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था.
विलुप्त घोषित किए जाने के 70 साल बाद भारत में चीतों को फिर से बसाने के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता' लागू किया गया है. इसके तहत दक्षिण अफ्रीका के देशों से चीतों को दो जत्थों में यहां लाया गया है.
नामीबियाई चीतों में से एक साशा ने 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया था. वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाए गए एक चीते उदय की 23 अप्रैल को मौत हो गई थी. वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा एक नर चीते से मिलन के प्रयास के दौरान हिंसक व्यवहार के कारण घायल हो गई थी, जिसकी बाद में मौत हो गई.
वहीं सियाया के चार शावकों का जन्म 70 साल बाद भारत की धरती पर कूनो नेशनल पार्क में पैदा हुए थे.
कुल 20 चीते लाए गए थे
पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में एक कार्यक्रम में नेशनल पार्क के बाड़ों में छोड़ा गया था. इसके बाद, इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते यहां पर लाए गए.
अब बचे 17 वयस्क और 3 शावक
भारत में पैदा हुए चार शावकों सहित 24 चीतों में से कूनो नेशनल पार्क में अब 17 वयस्क और तीन शावक हैं. इनमें से कुछ को अभी जंगल में छोड़ा जाना बाकी है.
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