इंदौर / भोपाल:
लगता है, मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचारियों की तादाद बढ़ती जा रही है, या चौतरफा भ्रष्टाचार से जूझ रहे हमारे मुल्क में लोकायुक्त बेहद काम का पद साबित हो सकता है। इस बार लोकायुक्त पुलिस की गाज गिरी है, इंदौर जेल के सुपरिन्टेन्डेन्ट पुरुषोत्तम सोम कंवर पर, जिनके इंदौर और भोपाल स्थित घरों पर छापों में उनके नाम से राज्य भर में तीन बिल्डिंगें, एक हॉस्टल, चार दुकानें, एक रेस्तरां, सात प्लॉट, तीन लक्ज़री कारें, और 14 एकड़ ज़मीन का पता चला है। छापों की कार्रवाई के दौरान भोपाल और इंदौर के उनके मकानों से साढ़े आठ लाख रुपये की एलआईसी पॉलिसी, छह लाख 62 हज़ार रुपये नकद, तथा बैंक एकाउंट में 55 लाख रुपये मिले। इसके अलावा स्टेट बैंक में एक लॉकर भी मिला है, जिसे खोला जा रहा है।
वैसे बात सिर्फ इस जेलर की नहीं, क्योंकि पिछले दिनों में मध्य प्रदेश में ऐसे और भी बड़े मामले सामने आए हैं, जब छोटे और मध्यम ओहदे पर काम रहे सरकारी कमर्चारियों के पास छापेमारी में करोड़ों की रकमें बरामद हुईं। दिसम्बर, 2011 में उज्जैन के एक चपरासी से 12 करोड़ रुपये बरामद हुए थे, जो म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में काम करता था। इसके अलावा आरटीओ ऑफिस के एक क्लर्क से छापेमारी में 30 करोड़ मिले थे। इस साल के शुरुआती दो हफ्तों में सात अधिकारियों के घर छापेमारी की गई, जिनमें करोड़ों की रकमें बरामद हुईं।
प्रदेश लोकायुक्त के मुताबिक पिछले दो सालों में 63 अफसरों के यहां हुई छापेमारी में 100 करोड़ की संपत्ति सामने आई। इनमें से 25 अधिकारियों के यहां वर्ष 2010 में छापा पड़ा था, जिनमें 25 करोड़ रुपये बरामद हुए थे, और पिछले साल, यानि 2011 में हुई 38 छापेमारियों में 75 करोड़ रुपये सामने आए। वैसे माना जाता है कि राज्य में इस सबकी शुरुआत आईएस जोशी दंपति से हुई थी, जिनके पास छापों में 300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की दौलत मिली थी।
वैसे बात सिर्फ इस जेलर की नहीं, क्योंकि पिछले दिनों में मध्य प्रदेश में ऐसे और भी बड़े मामले सामने आए हैं, जब छोटे और मध्यम ओहदे पर काम रहे सरकारी कमर्चारियों के पास छापेमारी में करोड़ों की रकमें बरामद हुईं। दिसम्बर, 2011 में उज्जैन के एक चपरासी से 12 करोड़ रुपये बरामद हुए थे, जो म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में काम करता था। इसके अलावा आरटीओ ऑफिस के एक क्लर्क से छापेमारी में 30 करोड़ मिले थे। इस साल के शुरुआती दो हफ्तों में सात अधिकारियों के घर छापेमारी की गई, जिनमें करोड़ों की रकमें बरामद हुईं।
प्रदेश लोकायुक्त के मुताबिक पिछले दो सालों में 63 अफसरों के यहां हुई छापेमारी में 100 करोड़ की संपत्ति सामने आई। इनमें से 25 अधिकारियों के यहां वर्ष 2010 में छापा पड़ा था, जिनमें 25 करोड़ रुपये बरामद हुए थे, और पिछले साल, यानि 2011 में हुई 38 छापेमारियों में 75 करोड़ रुपये सामने आए। वैसे माना जाता है कि राज्य में इस सबकी शुरुआत आईएस जोशी दंपति से हुई थी, जिनके पास छापों में 300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की दौलत मिली थी।
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