मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार ने ‘लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान निवारक एवं नुकसानी की वसूली अधिनियम-2021'को लाने की घोषणा कर दी है. इस अधिनियम के अनुसार प्रदर्शनकारी और आंदोलनकारी भी अब कानून के दायरे में आ जाएंगे. कानून के अनुसार यदि विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी ने किसी सरकारी अथवा निजी चल-अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तो उसे इतनी ही राशि की वसूली की जाएगी और आंदोलन या प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले भी बच नहीं पाएंगे. गौरतलब है, प्रिवेंशन ऑफ लॉस ऑफ पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड रिकवरी ऑफ डैमेज एक्ट (Prevention Of Loss Of Public, Private Property, Recovery Of Damages Act')के तहत मध्यप्रदेश में अब किसी धरना, प्रदर्शन के दौरान निजी या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तो नुकसान पहुंचाने वाले से हर्जाना वसूला जाएगा, क्लेम ट्रिब्यूनल के जरिये ये वसूली होगी.
राज्य के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) के अनुसार "जो लोग पत्थरबाजी करते हैं, शासकीय और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते है उनसे वसूली के लिये एक क्लेम ट्रिब्यूनल बनाया जा रहा है, ये ट्रिब्यूनल घटना स्थल के हिसाब से भी बनेगा इसमें रिटायर्ड डीजी, आईजी स्तर के अधिकारी और सेक्रेटरी रखे जाएंगे. इस कानून के संचालन का अधिकार सिविल कोर्ट के हाथ में रहेगा.
वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इस अधिनियम का विरोध कर रहा है. कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा है कि ये कानून न्यायसंगत नहीं है और वह इसका विरोध करेंगी.
पूर्व कानून मंत्री, कांग्रेस पीसी शर्मा (PC Sharma)ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा- “संविधान में ये अधिकार विपक्षी पार्टियों को सरकार ने दिया है इस कानून का मकसद लोगों की आकांक्षा को पूरा नहीं करना और उनका दमन करना है” उन्होंने आगे कहा कि - “मैं कानून मंत्री रहा हूं इसलिए कहना चाहता हूँ ये न्याय संगत नहीं है इसलिए मैं इसका विरोध करता हूं ”
गौरतलब है, इस अधिनियम में अध्यक्ष रिटायर्ड जिला जज होंगे और जिला स्तर पर क्लेम कमिश्नर होगा, जिसका काम एडिशनल या डिप्टी कलेक्टर को सौंपा जाएगा. इस कानून का 3 महीने के अंदर प्रकरण का निराकरण होगा और इसकी अपील सिर्फ हाईकोर्ट के अंदर हो सकती है.
अधिनियम के मुताबिक सरकारी संपत्ति के नुकसान की शिकायत कलेक्टर और निजी संपत्ति की शिकायत, संबंधित व्यक्ति करेगा. क्लेम कमिश्नर मौके पर जाकर नुकसान की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को देगा. वसूली नहीं देने पर आरोपी की संपत्ति की नीलामी भी हो सकती है.
इससे पहले भी बीजेपी शासित हरियाणा, यूपी में ऐसे कानून बने हैं लेकिन अभीतक कोई वसूली नहीं हुई है, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पेश किये जाने की संभावना है.
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