उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पिछले माह हुए साम्प्रदायिक दंगों की जांच के लिए सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) की पहल पर सरकार द्वारा गठित मंत्रियों की ‘सद्भावना समिति’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मदरसे अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए दंगों के कारण विस्थापित लोगों को अपने गांव वापस नहीं जाने देना चाहते।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगा पीड़ितों के लिए बनाए गए ज्यादातर राहत शिविर मदरसों में चल रहे हैं। राहत के नाम पर उन्हें बाहर से खाद्यान्न तथा धन के रूप में मदद दी जा रही है। ऐसे में वे अपने निजी लाभों के लिये विस्थापित लोगों को अपने गांव वापस नहीं जाने देना चाहते, ताकि राहत शिविर बंद नहीं हों।
गौरतलब है कि सपा प्रमुख के कहने पर मुजफ्फरनगर में दंगापीड़ितों की स्थिति पर नजर रखने तथा समुदायों में विश्वास बहाली के लिए वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में 10 मंत्रियों की सद्भावना समिति गठित की गई थी।
मुजफ्फरनगर में गत 7 सितम्बर को भड़के दंगों के दौरान अपना घर-बार छोड़कर भागे लोगों को आसरा देने के लिए मुजफ्फरनगर में 41 तथा शामली में 17 राहत शिविर बनाए गए थे। इनमें 40 हजार से ज्यादा लोग रह रहे थे।
गांवों के दौरे के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि शामली जिले के मलकापुर का शिविर वन विभाग की जमीन पर कब्जा करके बना है। यहां रह रहे विस्थापितों को यह कहते हुए बरगलाया गया है कि कब्जा बने रहने पर जमीन उनके नाम आवंटित हो जाएगी, इससे लोग शिविर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार गांवों में लिए गए कर्ज की जबरन वसूली का डर भी लोगों को रोक रहा है। वापस गांव लौटने पर कुछ लोगों को सुरक्षा और कुछ को मुकदमों में जबरदस्ती सुलहनामा लिखवा लिए जाने का डर भी है। ऐसे लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की जरूरत बताई गई है।
सद्भावना समिति ने दंगा पीड़ितों को गांव भेजने के लिए विभिन्न कदम उठाने की सिफारिश करते हुए पीड़ितों की तीन श्रेणियां बनाने का सुझाव दिया है। एक श्रेणी ऐसे गांवों के विस्थापितों की होगी जहां हिंसा नहीं हुई। दूसरी श्रेणी में ऐसे गांव होंगे जहां हिंसा तो हुई, लेकिन जनहानि नहीं हुई। तीसरी ऐसे गांवों की जहां हिंसा में धन-जन की हानि हुई है।
दोनों तरह की हानियों वाले गांवों के लिए समिति का कहना है कि शांति कमेटी गठित कर विशेष अभियान चलाने बाद ही विस्थापितों को वापस भेजा जाना चाहिए।
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