राज्यसभा में बोलते वित्त मंत्री अरुण जेटली
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को देश में काला धन रखने वालों के लिए बजट में घोषित योजना का बचाव किया और कहा कि यह क्षमा योजना नहीं है बल्कि एक दंड है।
राज्यसभा में बोलते हुए वित्त मंत्री ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर भी हमला बोला। गौरतलब है कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह इस योजना को 'फेयर एंड लवली योजना' करार देते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा था।
काला धन के मुद्दे पर हमारे द्वारा उठाए गए कदमों पर टिप्पणी करने से पहले आप अपना ट्रैक रिकॉर्ड देखिए कि आपने क्या किया। जेटली 1997 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार और उसके वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा आय घोषित करने की योजना की याद दिला रहे थे।
संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों के लटके होने के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज विपक्षी दलों को बाधाकारी राजनीति छोड़ने एवं सहयोग करने का आहवान किया। साथ ही उन्होंने जेएनयू, असहिष्णुता, मुद्रास्फीति और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर राहुल गांधी के हमले पर पलटवार किया।
जेटली ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। जेएनयू विवाद पर हुए विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की किसी 'छात्र विशेष' के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी। उनका संकेत छात्र नेता कन्हैया कुमार की ओर था।
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति का अधिकार तो है लेकिन देश की एकता को तोड़ने के लिए इस अधिकार के उपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां इन लोगों के विरोध में अग्रिम पंक्ति में रहें। कृपया ऐसा कुछ मत करिये जिससे कि इस तरह के लोगों को गरिमा मिले।
जेटली ने कहा कि बैंकों की मौजूदा गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का संकट कोई बड़ा संकट नहीं, लेकिन एक चुनौती जरूर है। उन्होंने जानना चाहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने ऐसी स्थिति को टालने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए।
उन्होंने राहुल गांधी के इस आरोप का जवाब दिया कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान के मामले में पूर्व के वर्षों में भारत की जो फायदेमंद स्थिति बनी थी, उसे गंवा दिया। जेटली ने कहा, 'हम पाकिस्तान को पहली बार इस बात के लिए मजबूर कर रहे हैं कि वह इस बात की जिम्मेदारी ले कि भारत पर जो हमले हो रहे हैं, वह उसकी भूमि से हो रहे हैं।
जेटली ने पलटवार करते हुए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर शर्म अल शेख प्रकरण को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘‘आप पाकिस्तान से बातचीत करने को लेकर सहमत हो गये, भले ही आतंकवाद रुके या नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा समय है जब हमें बाधाकारी लोकतंत्र की जरूरत नहीं है। बल्कि हमारा रुख होना चाहिए कि हम मिलकर काम करें। इसी भावना के साथ इस सरकार को कामकाज करना चाहिये।
सरकार द्वारा कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयी गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष पर तंज कसा और कहा, ‘‘सबसे खतरनाक गणनाएं वे होती हैं जो लिफाफे के पीछे की जाती हैं।’’ उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को लक्ष्य कर कहा, ‘‘किसी ने आपके नेता (राहुल) को यह समझा दिया है कि सभी गणनाएं लिफाफे के पीछे की जाती हैं।’’ कच्चे तेल की कीमतें गिरने से हुए पूरे लाभ को उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने के कदम का बचाव करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसका बड़ा हिस्सा उपभोक्ताओं को दिया गया है। कुछ भाग को घाटे में चल रही तेल कंपनियों को दिया गया और शेष को आधारभूत ढांचे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश किया गया है।
(इनपुट भाषा से...)
राज्यसभा में बोलते हुए वित्त मंत्री ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर भी हमला बोला। गौरतलब है कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह इस योजना को 'फेयर एंड लवली योजना' करार देते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा था।
काला धन के मुद्दे पर हमारे द्वारा उठाए गए कदमों पर टिप्पणी करने से पहले आप अपना ट्रैक रिकॉर्ड देखिए कि आपने क्या किया। जेटली 1997 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार और उसके वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा आय घोषित करने की योजना की याद दिला रहे थे।
संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों के लटके होने के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज विपक्षी दलों को बाधाकारी राजनीति छोड़ने एवं सहयोग करने का आहवान किया। साथ ही उन्होंने जेएनयू, असहिष्णुता, मुद्रास्फीति और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर राहुल गांधी के हमले पर पलटवार किया।
जेटली ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। जेएनयू विवाद पर हुए विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की किसी 'छात्र विशेष' के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी। उनका संकेत छात्र नेता कन्हैया कुमार की ओर था।
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति का अधिकार तो है लेकिन देश की एकता को तोड़ने के लिए इस अधिकार के उपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां इन लोगों के विरोध में अग्रिम पंक्ति में रहें। कृपया ऐसा कुछ मत करिये जिससे कि इस तरह के लोगों को गरिमा मिले।
जेटली ने कहा कि बैंकों की मौजूदा गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का संकट कोई बड़ा संकट नहीं, लेकिन एक चुनौती जरूर है। उन्होंने जानना चाहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने ऐसी स्थिति को टालने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए।
उन्होंने राहुल गांधी के इस आरोप का जवाब दिया कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान के मामले में पूर्व के वर्षों में भारत की जो फायदेमंद स्थिति बनी थी, उसे गंवा दिया। जेटली ने कहा, 'हम पाकिस्तान को पहली बार इस बात के लिए मजबूर कर रहे हैं कि वह इस बात की जिम्मेदारी ले कि भारत पर जो हमले हो रहे हैं, वह उसकी भूमि से हो रहे हैं।
जेटली ने पलटवार करते हुए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर शर्म अल शेख प्रकरण को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘‘आप पाकिस्तान से बातचीत करने को लेकर सहमत हो गये, भले ही आतंकवाद रुके या नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा समय है जब हमें बाधाकारी लोकतंत्र की जरूरत नहीं है। बल्कि हमारा रुख होना चाहिए कि हम मिलकर काम करें। इसी भावना के साथ इस सरकार को कामकाज करना चाहिये।
सरकार द्वारा कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयी गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष पर तंज कसा और कहा, ‘‘सबसे खतरनाक गणनाएं वे होती हैं जो लिफाफे के पीछे की जाती हैं।’’ उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को लक्ष्य कर कहा, ‘‘किसी ने आपके नेता (राहुल) को यह समझा दिया है कि सभी गणनाएं लिफाफे के पीछे की जाती हैं।’’ कच्चे तेल की कीमतें गिरने से हुए पूरे लाभ को उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने के कदम का बचाव करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसका बड़ा हिस्सा उपभोक्ताओं को दिया गया है। कुछ भाग को घाटे में चल रही तेल कंपनियों को दिया गया और शेष को आधारभूत ढांचे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश किया गया है।
(इनपुट भाषा से...)
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