राजद्रोह की जगह देशद्रोह, नाबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग में फांसी; क्रिमिनल लॉ बिल के कानून बनने पर होंगे ये बदलाव

गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (द्वितीय) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (द्वितीय) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पेश किया था.

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के 13वें दिन बुधवार (20 दिसंबर) को लोकसभा में मौजूदा आपराधिक कानूनों (Criminal Law Bills) को बदलने के लिए लाए गए 3 विधेयक पास हो गए. विपक्ष के कुल 97 सांसदों की गैर-मौजूदगी में नए क्रिमिनल बिल पर चर्चा हुई. फिर गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. जिसके बाद बिलों को पास कर दिया गया. नए क्रिमिनल बिलों को अब राज्यसभा में रखा जाएगा. वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.

नए क्रिमिनल बिलों में क्या हैं प्रावधान:-

  1. गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (द्वितीय) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (द्वितीय) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पेश किया था. इन बिलों के कानून बनने के बाद ये इंडियन पीनल कोड 1860 (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 (IEA) को रिप्लेस करेंगे.

  2.  लोकसभा में 3 नए क्रिमिनल बिल पर जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- "अंग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है. नए बिल में 'राजद्रोह' की जगह 'देशद्रोह' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है. यह उनका अधिकार है. अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. उसे जेल जाना ही पड़ेगा."

  3. भारतीय नागरिक संहिता 2023 विधेयक में रेप और बच्चों के खिलाफ अपराध पर धाराएं बदली गई हैं. पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है. गैंगरेप को भी आगे रखा गया है. बच्चों के खिलाफ अपराध को भी कानून के दायरे में लाया गया है मर्डर 302 था, अब 101 हुआ है. गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल का प्रावधान है.

  4. भारतीय नागरिक संहिता 2023 विधेयक में 18, 16 और 12 साल की उम्र की बच्चियों से रेप में अलग-अलग सजा का प्रावधान है. 18 से कम उम्र की लड़की से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा होगी. गैंगरेप के मामले में 20 साल की सजा या जिंदा रहने तक की सजा का प्रावधान है. 18 साल से कम की बच्ची के साथ रेप में फिर फांसी की सजा का प्रावधान रखा गया है.

  5.  इसके साथ ही 18 साल की लड़की के साथ रेप में शामिल नाबालिग पर भी भारतीय नागरिक संहिता 2023 के प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई होगी. किडनैपिंग की धारा पहले 359, 369 थी, अब 137 और 140 की जा रही है. ह्यूमन ट्रैफिकिंग की धारा 370, 370A थी, जो अब 143, 144 हो गई है.

  6. संगठित अपराध की भी पहली बार व्याख्या की गई है. इसमें साइबर क्राइम, लोगों की तस्करी, आर्थिक अपराधों का भी जिक्र है. गैर इरातन हत्या को दो हिस्सों में बांटा. अगर गाड़ी चलाते वक्त हादसा होता है, फिर आरोपी अगर घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी. हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी. डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली हत्याओं को गैर इरादतन हत्या में रखा गया है. इसकी भी सजा बढ़ गई है. मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा होगी. स्नैचिंग के लिए पहले कानून नहीं था, अब कानून बन गया है.

  7.  नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी. पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी, तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी. अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी. किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी.

  8.  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में गरीबों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की बात भी कही गई है. अब पुलिस को तीन दिन के भीतर रिपोर्ट दर्ज करनी होगी. अब बिना किसी देर के रेप पीड़िता की रिपोर्ट को भी 7 दिन के भीतर पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजना होगा. पहले 7 से 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था.  ट्रायल की प्रक्रिया में कागज रखने का प्रावधान नहीं था, अब इसे 30 दिन में पूरा करना होगा.

  9. देश में कई केस लटके हुए हैं, बॉम्बे ब्लास्ट जैसे केसों के आरोपी पाकिस्तान जैसे देशों में छिपे हैं. अब उनके यहां आने की जरूरत नहीं है. आरोपी अगर 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होते हैं, तो उसकी गैरमौजूदगी में ट्रायल होगा, फांसी भी होगी, जिससे आरोपियों को उस देश से वापस लाने की प्रोसेस आसान होगी. 

  10.  अब लंबे समय तक किसी को जेल में नहीं रख सकते, अगर उसने सजा का एक तिहाई समय जेल में गुजार लिया है, तो उसे रिहा किया जा सकता है. गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है. जजमेंट सालों तक नहीं लटकाया जा सकता. मुकदमा समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा.