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छांगुर बाबा की शरण में... अनिरुद्धाचार्य ने अखिलेश और अल्का लंबा को क्यों दी ये अजब सलाह

प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने उन्होंने अल्का लांबा के सवाल पर कहा कि मेरा विरोध करने वाले छांगुर बाबा के सत्संग में जाएं. साथ ही अखिलेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि अखिलेश तो साधु संतों को मानते ही नहीं है.

छांगुर बाबा की शरण में... अनिरुद्धाचार्य ने अखिलेश और अल्का लंबा को क्यों दी ये अजब सलाह
  • कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि उनका वायरल वीडियो अधूरा दिखाया गया जिससे विवाद उत्पन्न हुआ
  • अनिरुद्धाचार्य ने अखिलेश यादव और अल्का लांबा को सलाह दी कि वे छांगुर बाबा के सत्संग में जाएं
  • कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा, उनका विरोध संतों का नहीं बल्कि सनातन संस्कृति को बदनाम करने की कोशिशों का है
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एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने अपने उस वायरल वीडियो पर राय रखी, जिसमें वो लिव-इन रिलेशनशिप और महिलाओं को लेकर बात कर रहे थे. कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि साजिश के तहत सनातन को बदनाम किया जा रहा है. लिव-इन में रहने को क्यों महिमामंडन हो रहा है. मुंह मारना क्या सभ्य भाषा है. मेरी बात सही निशाने पर लगी है.

अखिलेश-अल्का को दी सलाह

प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने उन्होंने अल्का लांबा के सवाल पर कहा कि मेरा विरोध करने वाले छांगुर बाबा के सत्संग में जाएं. साथ ही अखिलेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि अखिलेश तो साधु संतों को मानते ही नहीं है. वो बताएं संत कैसे खुश रहें. दरअसल अनिरुद्धाचार्य का वीडियो वायरल होने पर अखिलेश यादव ने सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि इस भाषा के प्रयोग के साथ कैसे अनिरुद्धाचार्य साधु संत हो सकते हैं.

'मेरे शब्दों का नहीं, संतों का विरोध हो रहा'

रामभद्राचार्य और प्रेमानंद महाराज मेरे खिलाफ नहीं हैं. मेरे शब्दों का नहीं, संतों का विरोध हो रहा है. हम शास्त्रों की बात कर रहे हैं. सनातन में बेटियों को कभी दबाया नहीं गया है. मुगल काल में सभी कुरीतियां भारत में आईं. 

'वीडियो को अधूरा पेश किया गया'

अनिरुद्धाचार्य ने आगे कहा कि, 'मेरे वीडियो को आधा-अधूरा दिखाया गया, जिससे विवाद पैदा हुआ. पूरी वीडियो देखें, तो मेरी बात स्पष्ट होगी. मैंने पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए कहा कि चरित्रवान बनें.' उन्होंने सवाल उठाए और कहा क्या उनकी भाषा गलत थी या सनातन संस्कृति और संतों को बदनाम करने की साजिश हो रही है? उन्होंने पूज्य प्रेमानंद जी के बयानों पर भी हुए विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुद्दा भाषा का नहीं, बल्कि संतों को टारगेट करने का है.

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