लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए जब चारों ओर नजर दौड़ाएंगे तो महाराष्ट्र एक ऐसी जगह है कि जहां अलग ही समीकरण देखने को मिलता है. जो पहले प्रतिद्वंद्वी थे वो अब सहयोगी बन गए हैं. वहीं दोस्त दुश्मन बन गए हैं. पिछले चुनावों में बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना में टूट हो गयी है. पार्टी का एक हिस्सा उद्धव ठाकरे के साथ है जो अब इंडिया गठबंधन के साथ है. वहीं एनसीपी का भी एक हिस्सा टूट चुका है जो अजित पवार के साथ एनडीए का हिस्सा हो चुका है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही गठबंधन में शिवसेना और एनसीपी के विभाजन के बाद की पार्टी है.
चुनावी डेटा क्या कहते हैं?
2004 के चुनाव का क्या था हाल?
2004 के चुनाव में बीजेपी को 13 सीट, शिवसेना जो की बीजेपी के साथ था उसे 12 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 13 और एनसीपी को 9 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं अगर वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी और शिवसेना गठबंधन के हिस्से 42.7 प्रतिशत वोट शेयर था वहीं एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन के हिस्से 42.1 प्रतिशत वोट शेयर रहा थाा. एनडीए का वोट शेयर 2004 में अधिक रहा था.
2009 में एनडीए को हुआ नुकसान
2009 के चुनाव में देश भर में कांग्रेस गठबंधन को जीत मिली थी महाराष्ट्र में भी एनडीए को 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. बीजेपी को 9 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं शिवसेना के हाथ 11 सीटें आयी थी. कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन को 25 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 17 और एनसीपी को 8 सीटों पर मिली थी जीत. वोट परसेंट की अगर बात करें तो एनडीए गठबंधन को 35.2 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं कांग्रेस गठबंधन के मत प्रतिशत में भी गिरावट देखने को मिली थी लेकिन सीट में बढ़ोतरी हुई थी. कांग्रेस गठबंधन को 39.9 प्रतिशत वोट मिले थे.
2014 में एनडीए के वोट और सीट में हुई बढ़ोतरी
2014 के चुनाव में एनडीए को बंपर जीत मिली. एनडीए का वोट शेयर 2009 के लगभग 35 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 47.9 प्रतिशत तक पहुंच गया. सीटों की अगर बात करें तो एनडीए को 48 में से 41 सीटों पर जीत मिली. वहीं कांग्रेस को महज 1 सीट और एनसीपी को 4 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा.
2019 के चुनाव में एनडीए का वोट शेयर पहुंचा 50 परसेंट के पार
2019 के चुनाव में भी बीजेपी को बंपर जीत मिली. एनडीए का वोट शेयर 50 परसेंट के पार पहुंच गया. एनडीए गठबंधन को लगभग 51 परसेंट वोट मिले. वहीं कांग्रेस गठबंधन का वोट शेयर घटकर मात्र 31.8 प्रतिशत पर रह गया. कांग्रेस को 16.3 प्रतिशत वोट मिले वहीं एनसीपी को 15.5 प्रतिशत वोट मिले.
2009 की तुलना में एनडीए के पक्ष में 15 प्रतिशत वोट का स्विंग
2009 के चुनाव में कांग्रेस गठबंधन को जहां 39.9 प्रतिशत वोट मिले थे और एनडीए को महज 35 प्रतिशत वोट मिले थे वो 2019 के चुनाव में एनडीए का 50 के पार पहुंच गया. वहीं कांग्रेस गठबंधन का वोट शेयर घटकर मात्र 30 प्रतिशत के आसपास रह गया. कांग्रेस और एनसीपी के वोट और सीट दोनों ही तेजी से कम हुए.
चुनावी एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी ने क्या कहा?
अमिताभ तिवारी ने बताया कि 2014 और 2019 के डेटा को अगर हम देखेंगे तो पूरे महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की बढ़त देखने को मिल रही है. पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी की पकड़ थी लेकिन अब वहां भी एनसीपी टूट चुका है. लेकिन इस बार यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि शिवसेना और एनसीपी की टूट के बाद कौन सा हिस्सा अपनी पकड़ को बनाकर रखता है.
पीएम मोदी बड़े फैक्टर हैं : मनीषा प्रियम
राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम ने कहा कि अगर आप पुराने डेटा को देखेंगे तो आप पाएंगे कि बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की जीत में भी बीजेपी का बड़ा योगदान रहा है. शिवसेना का भी ग्राफ तब ही बढ़ा है जब बीजेपी मजबूत हुई है. शिवसेना में विभाजन के बाद यह बात बेहद अहम है कि शिवसेना के वोटर्स अब किधर जाएंगे. वहीं एनसीपी के वोटर्स को लेकर भी अंतिम समय तक कुछ भी कहना बहुत कठिन है.
यह चुनाव है बेहद रोचक
महाराष्ट्र की राजनीति में यह चुनाव पिछले 3-4 दशक के बाद बेहद रोचक चुनाव हो सकता है. शरद पवार और बाल ठाकरे की महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय तक एकछत्र राज करते रहे थे. बाल ठाकरे और शरद पवार की विरासत पर कब्जे को लेकर एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे, अजित पवार और सुप्रिया श्रीनेत के बीच कड़ी टक्कर होगी. यह चुनाव जीत और हार से बढ़कर विरासत की लड़ाई को भी बहुत हद तक तय कर देगा.
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