Analysis : 2024 में क्या BJP बचा पाएगी कर्नाटक का किला? क्या कहता है पिछले 3 चुनाव का डेटा

चुनाव दर चुनाव बीजेपी की पकड़ कर्नाटक में मजबूत होती गयी है. कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं.

Analysis : 2024 में क्या BJP बचा पाएगी कर्नाटक का किला? क्या कहता है पिछले 3 चुनाव का डेटा

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने मिशन 370 का लक्ष्य रखा है. बीजेपी को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में न सिर्फ उत्तर भारत के राज्य बल्कि दक्षिण भारत में भी शानदार प्रदर्शन करना होगा. दक्षिण भारत में कर्नाटक ही एकमात्र राज्य रहा है. जहां पिछले 4 लोकसभा चुनाव से बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है. कर्नाटक को बीजेपी के एक किले के तौर पर देखा जा रहा है.  खास बात ये है कि कर्नाटक में सरकार भले किसी की हो लोकसभा में कमल ही खिला है... दक्षिण का ये इकलौता राज्य है जहां बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाती रही है.

चुनाव दर चुनाव बीजेपी की पकड़ कर्नाटक में मजबूत होती गयी है. कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं. 2004 के चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं 2009 में 19 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. 2014 में बीजेपी के खाते में 17 सीट आए थे वहीं 2019 में बीजेपी राज्य में 25 सीट मिले थे.

लोकसभा में लगातार पिछड़ती रही है कांग्रेस
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार खराब रहा है. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी. वहीं 2009 में 6 सीटें कांग्रेस के हाथ आए थे. 2014 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक में 9 सीटों पर जीत मिली थी वहीं 2019 में कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी. जेडीएस का भी लोकसभा चुनाव में लगातार खराब प्रदर्शन रहा है. पार्टी किसी भी चुनाव में 3 से अधिक सीट जीतने में सफल नहीं रही है.

वोट शेयर के मामले में बीजेपी का लगातार बढ़ा है ग्राफ
वोट शेयर के मामले में बीजेपी ग्राफ लगातार बढ़ा है. साल 2004 में बीजेपी को 35 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं 2009 में सीटें कम हो गए लेकिन वोट शेय़र बढ़कर 42 तक पहुंच गया. 2014 में बीजेपी को 43 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं 2019 में बीजेपी ने तमाम रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 51 प्रतिशत वोट प्राप्त किया. 

2019 के चुनाव में कांग्रेस के वोट बैंक में हुई थी गिरावट
कांग्रेस के वोट शेयर में कर्नाटक में पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी गिरावट देखने को मिली. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 प्रतिशत वोट मिले थे. 2009 में 38 प्रतिशत वहीं 2014 में कांग्रेस पार्टी के खाते में 41 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज हुए थे. वहीं 2019 में कांग्रेस पार्टी को महज 32 प्रतिशत वोट मिले. 

जेडीएस का वोट शेयर लगातार कम होता गया है. 2004 में 21 प्रतिशत वोट शेयर वाली पार्टी को 2019 में महज 10 प्रतिशत वोट मिले.

वोक्कालिगा मतों का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ
वोक्कालिगा समुदाय के वोट का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिलता रहा है. 2009 में 38 प्रतिशत, 2014 में भी 38 प्रतिशत और 2019 में 41 प्रतिशत वोक्कालिगा ने बीजेपी को वोट दिया था. वहीं कांग्रेस को इस समुदाय का 2009 में 28 प्रतिशत, 2014 में 29 प्रतिशत और 2019 में 37 प्रतिशत वोट मिले थे.  वहीं जेडीएस के प्रति वोक्कालिगा वोटर्स का रुझान काफी कम हो गया 2009 में जहां उसे 30 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं 2014 में 31 प्रतिशत और 2019 में महज 11  प्रतिशत इस समुदाय के लोगों ने वोट दिया था. 

लिंगायत मतदाताओं के बीच बीजेपी का मजबूत आधार
कर्नाटक में लिंगायत बीजेपी के परंपरागत वोटर्स रहे हैं. 2009 के चुनाव में इस समुदाय के 73 प्रतिशत वोटर्स ने बीजेपी को वोट दिया. 2014 में 63 प्रतिशत और 2019 में 69 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को 2009 के चुनाव में 17 प्रतिशत, 2014 के चुनाव में 23 प्रतिशत और  2019 के चुनाव में 18 प्रतिशत लिंगायतों ने वोट दिया था.

2019 में ओबीसी वोटर्स ने कांग्रेस को दिया झटका
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में करारी हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के पक्ष में ओबीसी मतों की व्यापक गोलबंदी 2019 में हुई थी. 2014 में बीजेपी को 59 प्रतिशत ओबीसी वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को 2009 में 40 प्रतिशत,2014 में 44 प्रतिशत ओबीसी वोट मिले थे. लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस को महज 26 प्रतिशत ओबीसी वोटर्स ने वोट दिया था. 

एक्सपर्ट ने क्या कहा? 
कर्नाटक में लोकसभा चुनाव को लेकर एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है. अदिति फडणवीस  का मानना है कि अभी कर्नाटक का चुनाव खुला हुआ है. बीजेपी की अच्छी स्थिति हैं. प्रदेश अध्यक्ष काफी मेहनत कर रहे हैं लेकिन कुछ बागी उम्मीदवारों के मैदान में आ जाने से बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है. वहीं अमिताभ तिवारी ने कहा कि जेडीएस का वोट शेयर कम हुआ है. साथ ही बीजेपी और जेडीएस के बीच वोट ट्रांसफर करना आसान नहीं माना जा सकता है. दोनों के कोर वोटर्स आपस में एकजुट होंगे और वोट ट्रांसफर हो पाएगा? वोट ट्रांसफर के आधार पर गठबंधन की जीत हार तय होगी. 

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