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BJP को हराना या घटाना चाहती है कांग्रेस? मल्लिकार्जुन खरगे के दावे से समझिए पूरा 'गेम प्लान'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया है कि इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी को 100 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. इस बयान में कांग्रेस की रणनीति की झलक भी दिखाई दे रही है, जो इस पूरे चुनाव मे खुल कर सामने नहीं आई. यह रणनीति BJP को हराने की नहीं, बल्कि BJP का कद (सीटों की संख्या) घटाने की है.

BJP को हराना या घटाना चाहती है कांग्रेस? मल्लिकार्जुन खरगे के दावे से समझिए पूरा 'गेम प्लान'
देश की एक तिहाई सीटों पर BJP और कांग्रेस की सीधी टक्कर है. इनमें BJP सैचुरेशन में पहुंच चुकी है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) 1 जून को 8 राज्यों की 57 सीटों पर वोटिंग के साथ खत्म हो रहा है. इसके बाद 4 जून को पता चलेगा कि केंद्र में फिर से नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार आएगी या जनता जनार्दन ने कांग्रेस के नेतृत्व में INDIA अलायंस को चुना है. इस बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने शुक्रवार को चौंकाने वाला दावा किया. खरगे के बयान को लेकर पॉलिटिकल पंडित भी अपने हिसाब को फिर से मिलाने में लग गए हैं. 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने NDTV को दिए इंटरव्यू में कहा, "कांग्रेस इस बार 100 सीटों का आंकड़ा पार कर रही है." उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस इस चुनाव में 128 सीटें जीतेगी. खरगे ने यह भी कहा कि हम बीजेपी को सत्ता में आने से रोक देंगे और गठबंधन की सरकार बनेगी.

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लोकसभा चुनाव में INDIA अलायंस में शामिल कांग्रेस के क्षेत्रीय सहयोगी भी जीत को लेकर बढ़-चढ़ कर दावे कर रहे हैं. लिहाजा मल्लिकार्जुन खरगे का यह बयान महत्वपूर्ण हो जाता है. उनके इस बयान में कांग्रेस की रणनीति की झलक भी दिखाई दे रही है, जो इस पूरे चुनाव मे खुल कर सामने नहीं आई. यह रणनीति BJP को हराने की नहीं, बल्कि BJP का कद (सीटों की संख्या) घटाने की है. 

गठबंधन सरकार का युग लौटाना चाहती है कांग्रेस 
आसान शब्दों में समझें, तो कांग्रेस की रणनीति यह है कि चाहे BJP की अगुवाई में NDA की सरकार बन जाए, लेकिन BJP 2019 की तुलना में कम सीटें जीतें और बहुमत के आंकड़े से दूर रहे. ताकि देश में फिर से गठबंधन सरकार का युग लौट सके. ऐसे में BJP को सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा. इस रणनीति के पीछे चाहे कुछ राजनीतिक कारण हो सकते हैं. सवाल ये है कि मौजूदा राजनीतिक स्थिति में क्या वाकई ऐसा संभव है?

इस बार कांग्रेस 328 सीटों पर लड़ रही चुनाव
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 328 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. यह कांग्रेस के इतिहास की सबसे कम सीटें हैं, जबकि BJP 441 सीटों पर चुनावी मैदान में है. दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा की 543 में से सिर्फ 164 सीटें ही ऐसी हैं, जहां BJP और कांग्रेस में सीधा आमने-सामने मुकाबला है. 2019 में इन 164 सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ 8 सीटें ही थीं.

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अगर 2019 की बात करें, तो BJP और कांग्रेस के बीच 186 सीटों पर सीधा मुकाबला हुआ था. इनमें BJP ने 170 और कांग्रेस ने सिर्फ 16 सीटें जीती थीं. यानी BJP का स्ट्राइक रेट 91 प्रतिशत से भी अधिक था. यानी देश की एक तिहाई सीटों पर BJP और कांग्रेस की सीधी टक्कर है. इनमें BJP सैचुरेशन में पहुंच चुकी है. अब यहां कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है. यानी BJP और कांग्रेस की जब सीधी टक्कर होती है, तो BJP को जबरदस्त फायदा होता है.

आंकड़े बताते हैं कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP ने उत्तर और पश्चिम भारत के राज्यों की जिन सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी, उन्हीं सीटों पर कांग्रेस और BJP के बीच इस बार सीधी टक्कर है.

इन सीटों पर कांग्रेस के नफे से BJP को सीधा नुकसान
पश्चिमी भारत यानी गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और दमन दीव की 45 सीटों पर BJP और कांग्रेस की सीधी टक्कर रही है. 2014 और 2019 के चुनाव में ऐसा ही देखने को मिला. 2019 के इलेक्शन में BJP ने इनमें से 43 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 2 सीटें आई थीं. यानी यहां कांग्रेस को कोई फायदा सीधे BJP के लिए नुकसान ही है.

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128 सीटों के लिए कांग्रेस को चाहिए 40% का स्ट्राइक रेट
मल्लिकार्जुन खरगे के 128 सीटों के आंकड़े की बात करें, तो इसका मतलब यह है कि 328 सीटों में से करीब 40% का स्ट्राइक रेट होना चाहिए. यानी कांग्रेस और BJP की सीधी टक्कर में कांग्रेस को कम से कम 60 सीटें जीतनी होंगी. तभी वह 128 का यह आंकड़ा छू सकेगी. BJP और कांग्रेस के बीच 15 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में सीधी टक्कर है. जबकि कई अन्य राज्यों जैसे केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु और पंजाब में कांग्रेस का मुख्य मुकाबला क्षेत्रीय दलों से है. 

पिछले चुनाव में कांग्रेस ने केरल और तमिलनाडु में अच्छा प्रदर्शन किया था. इस बार कांग्रेस तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है. उसे उम्मीद है कि वह BJP से यहां सीटें छीनेगी.

उत्तर भारत में सैचुरेशन पॉइंट पर BJP
पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में BJP के लिए टारगेट तो सेट कर दिया, अब चर्चा इस बात की हो रही है कि इस टारगेट को पार्टी कैसे हासिल करेगी. उत्तर भारत और पश्चिम भारत की बात करें, तो वहां BJP सैचुरेशन पॉइंट पर पहुंच चुकी है. गुजरात का ही उदाहरण लें, तो BJP ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में यहां की सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की. राजस्थान में भी पार्टी ने सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया. हरियाणा की सभी 10 सीटें भी BJP के पास है. 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की 80 में से 62 सीटें जीत ली थीं. BJP की सहयोगी अपना दल (S) ने 2 सीटें जीती. बिहार की 40 में से 39 सीटें भगवा पार्टी ने ही जीतीं. मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटें पार्टी के खाते में गईं.

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BJP को 370 सीटों के लिए चाहिए कितना स्ट्राइक रेट?
अगर BJP को 370 सीटों के टारगेट को हासिल करना है, तो उसे अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाना होगा. 2019 के चुनाव में BJP का स्ट्राइक रेट 70 फीसदी था. अब उसे 82 फीसदी तक लेकर जाना होगा. यानी हर 100 उम्मीदवारों में से 82 उम्मीदवारों को जीत हासिल करनी होगी. तभी पार्टी 370 सीटों का टारगेट हिट कर पाएगी. इसके लिए उत्तर, पश्चिम, पूर्व, पूर्वोत्तर और मध्य भारत में BJP को अपना प्रदर्शन बरकरार रखना है. साथ ही इसमें कुछ और सुधार भी करने की जरूरत होगी. वहीं, पार्टी को दक्षिण भारत में ताकत दिखानी होगी और ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी. 

दक्षिण भारत से बड़े वोट बेस की जरूरत 
दक्षिण भारत में लोकसभा की 131 सीटें हैं. इनमें से 29 सीटें BJP के पास हैं. लेकिन अगर BJP को 370 सीटों का टारगेट हासिल करना है, तो उसे दक्षिण भारत से बड़ा समर्थन हासिल करना होगा. इसके लेकर BJP ने अपना कैल्कुलेशन भी कर लिया है. पार्टी ने दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों  में अपने सहयोगी दलों की पहचान कर ली है. कुछ दलों से बातचीत हो चुकी है. कुछ दलों के साथ बातचीत चल रही है. कहीं-कहीं सीटों का बंटवारा भी हो गया है, लेकिन क्रिकेट की तरह चुनाव में स्ट्राइक रेट एक बड़ा फैक्टर होता है.


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