राम मंदिर से बढ़ा बीजेपी का कॉन्फिडेंस
जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन के साथ बीजेपी का आत्मविश्वास चरम पर पहुंच गया था. बीजेपी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में विपक्ष के बहिष्कार को मुद्दा बनाया. बाद में कई दूसरे दलों से नेता इसी को मुद्दा बना कर अपना पार्टियां छोड़ बीजेपी में आए. इससे बीजेपी को देशभर में राम मंदिर मुद्दे को सेंटर स्टेज पर लाने में मदद मिली.
'मोदी की गारंटी' से शुरू हुआ प्रचार अभियान
बीजेपी ने चुनाव अभियान 'मोदी की गारंटी' से शुरू किया. पार्टी के घोषणापत्र में भी 'मोदी की गारंटी' की बात प्रमुखता से कही गई. बीजेपी के तमाम नेता एनडीए के 400 पार जाने की बात उठाते रहे. सामाजिक रक्षा और गरीब कल्याण से जुड़े मुद्दों का विस्तार से रैलियों में जिक्र किया गया.
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फिर चुनाव प्रचार अभियान की बदली दिशा
इसके बाद बीजेपी ने प्रचार अभियान की दिशा को मोड़ दिया. पीएम मोदी ने वेल्थ रिडिस्ट्रीब्यूशन के कांग्रेस के वादे को बड़ा मुद्दा बनाया. कांग्रेस के घोषणापत्र की तुलना मुस्लिम लीग से कर दी. इसके बाद बीजेपी का चुनाव अभियान बेहद आक्रामक हो गया.
विपक्ष ने आरक्षण और संविधान का उठाया मुद्दा
पीएम मोदी के आक्रामक चुनाव प्रचार के बीच विपक्ष के नेताओं ने कहना शुरू किया कि बीजेपी 400 पार की बात इसलिए कर रही है, क्योंकि वह संविधान बदल कर दलित आदिवासियों का आरक्षण खत्म करना चाहती है.
प्रचार अभियान समाप्त होते-होते प्राइमरी मुद्दे सेकेंडरी होते हए. शुरुआती चरणों में कम मतदान ने भी बीजेपी को चौकन्ना कर दिया. इससे विपक्षी पार्टियों ने दावे करने शुरू कर दिए कि एनडीए बहुमत हासिल नहीं कर सकेगा. बहरहाल, अब जनता का फैसला EVM में कैद हो चुका है. 4 जून को पता चलेगा कि किसके दावे में कितना दम है.
पीएम मोदी ने बनाया नया रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लोकसभा चुनाव में प्रचार का नया रिकॉर्ड बनाया है. पीएम मोदी ने 206 रैलियां, इवेंट और रोड शो किए. इस दौरान उन्होंने 80 इंटरव्यू दिए. मई की भीषण गर्मी में पीएम का सबसे ज्यादा प्रचार हुआ. इस महीने पीएम ने 96 रैलियां, इवेंट और रोड शो किए. अगर पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए, तो पीएम मोदी अपना बनाया रिकॉर्ड ही तोड़ दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने 142 रैलियां की थीं.
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4 राज्यों पर पीएम का रहा सबसे ज़्यादा फोकस
चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी का फोकस 4 राज्यों पर रहा. ये राज्य हैं- यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल. इन्हीं राज्यों में उनकी ज्यादा रैलियां हुईं. मोदी ने यूपी में 31 रैलियां कीं. बिहार में उनकी 20 जनसभाएं हुईं. महाराष्ट्र में पीएम मोदी ने 19 रैलियों को संबोधित किया. जबकि पश्चिम बंगाल में मोदी की 18 रैलियां हुईं. इन राज्यों में लोकसभा की 210 सीटें यानी करीब 50 प्रतिशत सीटें हैं.
मोदी के अलावा बीजेपी के बाकी टॉप नेताओं के कैंपेन
-हालांकि, पीएम मोदी के मुकाबले गृहमंत्री अमित शाह ने इस चुनाव में ज्यादा रैलियां की. शाह ने 221 रैली, रोड शो और दूसरे इवेंट किए. इस दौरान उन्होंने 118 इंटरव्यू भी दिए.
-बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2 अप्रैल 2024 से 30 मई 2024 तक 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने 125 सीटों पर प्रचार किया. 134 सभाएं की.
-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 101 इलेक्शन इवेंट किए. राजनाथ ने 94 रैलियां और 7 रोड शो भी किए.
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी की उम्मीदें
लोकसभा चुनाव अभियान के समापन के बाद बीजेपी अपने प्रदर्शन के आकलन में जुट गई है. बीजेपी को देशभर से मिले फीडबैक के आधार पर उम्मीद है कि एक बार फिर मोदी सरकार बनने जा रही है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को कुछ राज्यों में 2019 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. इन राज्यों में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. इन राज्यों में लोकसभा की 244 सीटें हैं.
महाराष्ट्र और बिहार में उठाना पड़ सकता है नुकसान
एक आकलन है कि कुछ राज्यों में बीजेपी के सहयोगी दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इन राज्यों में महाराष्ट्र और बिहार का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. जबकि, राजस्थान और कर्नाटक में 2019 की तुलना में बीजेपी की कुछ सीटें कम हो सकती हैं.
कर्नाटक में भी मिल सकती है चुनौती
कर्नाटक में बीजेपी ने पिछले बार 28 में से 25 सीटें जीतीं थीं. एक निर्दलीय सांसद का भी उसे साथ मिला था, जबकि महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसने 23 सीटें जीती थीं. बिहार में पिछली बार बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 40 में से 39 सीटें जीती थीं. यहां बीजेपी को खुद अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद है. वहीं, उसके नेताओं को लगता है कि सहयोगी दलों को कुछ सीटों पर नुकसान हो सकता है.
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