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छात्र राजनीति से लोकसभा अध्यक्ष बनने तक.... शानदार रहा है ओम बिरला का सफर

17वीं लोकसभा में उनके अध्यक्ष रहने के दौरान दिसंबर 2023 में लोकसभा से बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किए जाने के कारण भी उनका कार्यकाल सुर्खियों में रहा था. सत्रहवीं लोकसभा के दौरान ही 2023 में नयी संसद का उद्घाटन हुआ और नये लोकसभा कक्ष में बिरला ने अध्यक्ष के रूप में निचले सदन की कार्यवाही का संचालन किया.

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छात्र राजनीति से लोकसभा अध्यक्ष बनने तक.... शानदार रहा है ओम बिरला का सफर

छात्र राजनीति से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत कर लोकसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम बिरला के नाम एक ऐसा रिकार्ड दर्ज हो गया है, जिसके टूटने की हाल-फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही. यह रिकार्ड है उनके द्वारा संसद के पुराने और नये भवन में लोकसभा की अध्यक्षता करने का.

17वीं लोकसभा में उनके अध्यक्ष रहने के दौरान दिसंबर 2023 में लोकसभा से बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किए जाने के कारण भी उनका कार्यकाल सुर्खियों में रहा था. सत्रहवीं लोकसभा के दौरान ही 2023 में नयी संसद का उद्घाटन हुआ और नये लोकसभा कक्ष में बिरला ने अध्यक्ष के रूप में निचले सदन की कार्यवाही का संचालन किया.

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भारतीय जनता पार्टी ने बिरला को कोटा लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने उनके सामने भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए प्रहलाद गुंजल को खड़ा किया है. इससे यह राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है.

मंगलवार को घोषित आम चुनाव 2024 के परिणामों में बिरला ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के गुंजल को 41 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराकर कोटा सीट फिर जीत ली. बिरला को पर्दे के पीछे रहकर संगठन के लिए काम करने वाला नेता माना जाता है. भाजपा की युवा शाखा के लिए उन्होंने सालों साल काम किया और इस दौरान भाजपा के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं के संपर्क में आए. इनमें तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी है. यही कारण है कि शाह व मोदी ने जून 2019 में सबको चौंकाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया.

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लोकसभा अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले बिरला राजस्थान मूल के पहले राजनेता हैं. इससे पहले बलराम जाखड़ 1980 से 1989 तक इस पद पर रहे जो पहले फिरोजपुर 1980 व बाद में राजस्थान के सीकर 1984 से सांसद थे.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार बिरला छात्र जीवन से ही संघ से जुड़ गए. इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े रहे और जिला व राज्य स्तर पर उसकी अगुवाई की. बिरला ने 2003 में विधानसभा चुनाव में कोटा दक्षिण सीट पर कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हराकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा. वह लगातार तीन बार विधायक रहे.

इस दौरान भारतीय जनता पार्टी में बिरला का कद लगातार मजबूत हुआ. 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोटा सीट से लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया. बिरला ने मौजूदा सांसद इज्यराज सिंह को हराया. वहीं 2019 के आम चुनाव में बिरला ने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 279677 मतों से हराया.

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दस्तावेजों के अनुसार बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ. उनके पिता उस समय श्रीकृष्ण सरकारी सेवा में थे तो मां शकुंतला घर संभालती थीं. बासठ वर्षीय बिरला के लिए कोटा जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों रही है. उन्होंने स्कूली शिक्षा कोटा के गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से की और उसके बाद बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से बीकॉम व एम कॉम किया. उनकी शादी अमिता से हुई और उनके दो बेटियां अंजली, आकांक्षा हैं. अमिता पेशे से सरकारी चिकित्सक हैं.

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