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This Article is From Apr 06, 2024

लोकसभा चुनाव : बीजेपी उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू का अमृतसर में किसानों ने किया विरोध

विरोध प्रदर्शन पर रणजीत सिंह संधू ने कहा, "लोकतंत्र हर किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है. वहीं लोकतंत्र जो उन्हें विरोध करने की अनुमति देता है, वही मुझे अपना अभियान चलाने की भी अनुमति देता है. हमारे पास किसानों की आय बढ़ाने की योजना है."

लोकसभा चुनाव : बीजेपी उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू का अमृतसर में किसानों ने किया विरोध
किसानों ने किया बीजेपी नेता का विरोध Mohammed Ghazali
चंडीगढ़:

अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू आगामी लोकसभा चुनाव में अमृतसर से बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. हालांकि, जब उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए अमृतसर जिले के दो गांवों का दौरा किया, तो उनके काफिले को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा. किसानों ने सड़कों के दोनों ओर कतारबद्ध होकर काले झंडे दिखाए और संधू के काफिले के गुजरने के दौरान उनके खिलाफ नारे लगाए.

विरोध प्रदर्शन पर तरनजीत सिंह संधू ने कहा, "लोकतंत्र हर किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है. वहीं लोकतंत्र जो उन्हें विरोध करने की अनुमति देता है, वही मुझे अपना अभियान चलाने की भी अनुमति देता है. हमारे पास किसानों की आय बढ़ाने की योजना है."

तरनजीत सिंह संधू के रोड शो का विरोध अजनाला तहसील के गंगोमहल और कल्लोमहल गांवों में हुआ. केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान के तहत, किसानों ने पंजाब के गांवों में भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.


किसानों में से एक ने कहा, "बीजेपी सत्ता में वापस आना चाहती है. हम उन्हें अपने गांवों में प्रचार करने की अनुमति नहीं देंगे और उनका कड़ा विरोध करेंगे." तरनजीत सिंह संधू 1 फरवरी को अमेरिका में भारतीय दूत के रूप में सेवानिवृत्त हुए. वह 20 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए, दस दिन बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की सूची में जगह बनाई.

उत्तर पश्चिम दिल्ली के सांसद और लोकप्रिय गायक हंस राज हंस, जिन्हें भाजपा ने फरीदकोट से चुनाव मैदान में उतारा है, को भी हाल ही में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा. बीजेपी का विरोध करने का फैसला दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान मजदूर महापंचायत के दौरान लिया गया. 14 मार्च को हजारों किसानों ने महापंचायत में हिस्सा लिया, जिसके दौरान कृषि क्षेत्र के संबंध में केंद्र की नीतियों के खिलाफ विरोध तेज करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया.
 

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