लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) के परिणाम कई राजनेताओं के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं. खासकर बीजेपी के लिए दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं को टिकट देना जनता को रास नहीं आया है और ऐसे कई नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है. एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ाव और उसकी विचारधारा की बात करने वाले नेता अचानक से पार्टी बदलते ही नई पार्टी और उसकी विचारधारा की बात करने लगते हैं, कई बार जनता ऐसे दलबदलुओं को स्वीकार नहीं पाती है. लोकसभा चुनाव से पहले अन्य पार्टियों से भाजपा में शामिल कई राजनेताओं को हार का सामना करना पड़ा है. इसमें कई बड़े नाम शामिल हैं. इन राजनेताओं की भाजपा में शामिल होने की मजबूरियां अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन परिणाम एक ही रहा है और वो है हार.
कृपाशंकर सिंह
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके कृपाशंकर सिंह 2021 में भाजपा में शामिल हो गए थे. भाजपा ने कृपाशंकर सिंह को उनके गृहनगर जौनपुर से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह यह चुनाव नहीं जीत सके. उन्हें समाजवादी पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा ने 99335 वोटों से हराया. बाबू सिंह कुशवाहा को 509130 और कृपाशंकर सिंह को 409795 वोट मिले. बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह के समर्थन के बावजूद वह भाजपा के लिए यह सीट नहीं निकाल सके.
अशोक तंवर
हरियाणा के सिरसा से भाजपा उम्मीदवार अशोक तंवर बड़े अंतर से चुनाव हार गए हैं. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार शैलजा ने 2,68,497 मतों के बड़े अंतर से हराया. शैलजा को 7,33,823 और अशोक तंवर को 4,65,326 मत मिले. अशोक तंवर भाजपा का हाथ थामने से पहले आम आदमी पार्टी में थे. इससे पहले उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई थी. वहीं तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने 2019 में कांग्रेस छोड़ी थी और 2022 में आम में शामिल हो गए थे. इसी साल तंवर भाजपा में शामिल हुए थे.
सीता सोरेन
झारखंड की दुमका सीट से सीता सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नलिन सोरेन ने 22,527 मतों से हराया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन की बहू परिवार के खिलाफ जाकर भाजपा प्रत्याशी बनी थीं. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने की चर्चाएं थीं, जिसे लेकर सीता सोरेन ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई थी. सीता सोरेन दुमका के जामा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार की विधायक रह चुकी हैं. भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें पार्टी ने जेएमएम ने पार्टी से निकाल दिया था.
रवनीत बिट्टू
राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू इसी साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. पार्टी ने उन्हें लुधियाना से टिकट दिया था. तीन बार के सांसद बिट्टू इस बार भाजपा की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. उन्हें कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने 20942 वोटों से हराया. वडिंग को 3,22,224 और बिट्टू को 3,01,282 वोट मिले.
सुशील रिंकू
पंजाब में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल सुशील कुमार रिंकू भी जीत हासिल नहीं कर सके. रिंकू को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्मीवार चरणजीत सिंह चन्नी ने 175993 वोटों से हराया. सुशील कुमार रिंकू पहले कांग्रेस में थे, इसके बाद आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और उपचुनाव में जालंधन सीट से लोकसभा सीट जीते. हालांकि बाद में रिंकू भाजपा में शामिल हो गए, उन्हें आम आदमी पाटी ने अपना उम्मीदवार भी बनाया था.
ज्योति मिर्धा
राजस्थान की हॉट सीट नागौर से भाजपा में शामिल ज्योति मिर्धा चुनाव हार गई हैं. उन्हें इंडिया अलायंस की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने 42,225 मतों से हराया. बेनीवाल को 5,96,955 और मिर्धा को 5,54,730 मत मिले. ज्योति मिर्धा संविधान को लेकर दिए गए बयान की देशभर में चर्चा हुई थी और इसे लेकर कांग्रेस ने भाजपा को देशभर में मुद्दा बनाया था. मिर्धा नागौर से ही कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं. चुनाव से पहले मिर्धा भाजपा में शामिल हुई थीं और पार्टी ने उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया था. वहीं बेनीवाल 2019 के चुनाव में एनडीए के साथ थे, लेकिन किसानों के मुद्दे को लेकर अलग हो गए थे. उन्होंने 2019 का चुनाव में भी मिर्धा को ही हराया था.
परनीत कौर
पटियाला लोकसभा सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को चुनाव मैदान में उतारा था. हालांकि परनीत कौर यह चुनाव हार गईं. वह इस मुकाबले में डॉ. धर्मवीर गांधी और डॉ. बलबीर सिंह के बाद तीसरे नंबर पर रहीं. पटियाला लोकसभा सीट से परनीत कौर चार बार सांसद रह चुकी हैं और इस सीट पर उनके परिवार का काफी प्रभाव माना जाता है. उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर 2023 में भाजपा का दामन थाम लिया था.
तापस रॉय
पश्चिम बंगाल के नतीजे भाजपा के लिए उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे हैं. पार्टी को यहां पर 42 सीटों में से सिर्फ 12 पर जीत मिली है. वहीं कोलकाता उत्तर से तापस रॉय 92560 वोटों से चुनाव हार गए हैं. उन्हें तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने हराया. बंदोपाध्याय को 4,54,696 और रॉय को 3,62,136 मत मिले. तापस रॉय तृणमूल कांग्रेस छोड़कर इसी साल मार्च में भाजपा में शामिल हुए थे. नगर निगम भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने इसी साल 12 जनवरी को उनके आवास पर छापा मारा था.
कोथापल्ली गीता
आंध्र प्रदेश में भाजपा, तेलुगु देशम और जनसेना पार्टी के गठबंधन को जबरदस्त सफलता मिली, लेकिन अराकू से भाजपा उम्मीदवार कोथापल्ली गीता को जनता ने नकार दिया. उन्हें वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की गुम्मा थनूजा रानी ने 50580 वोटों से शिकस्त दी है. रानी को जहां 4,77,005 वोट मिले, वहीं गीता पर 4,26,425 मतदाताओं ने भरोसा जताया. 2019 में कोथापल्ली गीता भाजपा में शामिल हो गईं थीं. तीन साल बाद गीता और उनके पति को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बैंक बैंक धोखाधड़ी मामले में दोषी ठहराया और पांच साल जेल की सजा सुनाई. हालांकि तेलंगाना हाईकोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया था.
गीता कोड़ा
झारखंड के सिंहभूम से भाजपा उम्मीदवार गीता कोड़ा को हार झेलनी पड़ी है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को जोबा माझी ने 1,68,402 वोटों से करारी शिकस्त दी है. जोबा माझी को 5,20,164 और गीता कोड़ा को 3,51,762 मत मिले. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गीता कोड़ा भाजपा में शामिल हुई थीं. 2019 में उन्होंने इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था.
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