लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के नतीजे सामने हैं. BJP के नेतृत्व वाले NDA को 295 सीटें मिली हैं. ऐसे में केंद्र में तीसरी बार NDA की सरकार बननी तय है. लेकिन साफ है कि BJP को एग्जिट पोल के अनुमानों से बिल्कुल उलट भारी नुकसान हुआ है. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार प्रधानमंत्री बन रहे हैं, लेकिन उन्हें सरकार चलाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर निर्भर रहना होगा. चुनाव में दिल्ली की सत्ता का रास्ता तय करने वाले यूपी में तो BJP को जोरदार झटका लगा है. इस बार BJP 80 में से 35 सीटें ही जीत पाई है. INDIA अलायंस ने 37 सीटों पर लीड बना रखी है. सबसे बड़ा उलटफेर तो अमेठी सीट पर हो गया है. यहां BJP की स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हरा दिया है. आइए जानते हैं कौन हैं किशोरी लाल शर्मा (Kishori Lal Sharma), जिन्होंने 2024 के इलेक्शन में स्मृति ईरानी को धूल चटाई है.
अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हराकर पूरे देश को चौंका दिया. स्मृति की हार राहुल गांधी की पिछली हार से बड़ी है. वह 1.30 लाख वोट से हारीं हैं. किशोरी लाल शर्मा पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे. उन्होंने अपनी जीत को कांग्रेस पार्टी को डेडिकेट किया है.
कौन हैं किशोरी लाल शर्मा?
किशोरी लाल शर्मा (KL Sharma) गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 415450 वोट हासिल हुए. स्मृति ईरानी को महज 294581 वोट ही मिले. फाइनल डेटा अभी आना बाकी है. लेकिन वोटों के इतने बड़े अंतर से साफ है किशोरी लाल शर्मा जीत गए हैं.
समन्वयक के रूप में शुरू की राजनीतिक पारी
किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं. उन्होंने 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में कदम रखा था. 40 साल पहले पूर्व पीएम राजीव गांधी के साथ विधानसभा क्षेत्र समन्वयक के रूप में राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह नेहरू युवा केंद्र में पदाधिकारी भी रहे. राजीव गांधी के निधन के बाद गांधी परिवार से उनके रिश्ते पारिवारिक हो गए. उन्हें कांग्रेस पार्टी का चाणक्य कहा जाता है.
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सोनिया गांधी के राइट हैंड
राजीव गांधी की मौत के बाद जब सोनिया गांधी राजनीति में एक्टिव हुईं, तो किशोरी लाल शर्मा उनके राइट हैंड बन गए. इसके बाद 2004 में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़ दी और खुद रायबरेली आ गईं. तब किशोरी लाल शर्म ने इन दोनों सीटों की जिम्मेदारी खुद पर ले ली. इस दौरान पार्टी ने उन्हें कभी बिहार का प्रभारी बनाया तो कभी पंजाब कमिटी का सदस्य बनाया.
राहुल के हारने के बाद भी नहीं छोड़ा अमेठी
2004, 2009 और 2014 के इलेक्शन में राहुल गांधी अमेठी से जीतकर संसद पहुंचे. 2019 के इलेक्शन में स्मृति ईरानी से उन्हें हार मिली. राहुल की हार के बाद भी उन्होंने अमेठी नहीं छोड़ा. किशोरी लाल शर्मा का कनेक्ट हमेशा लोगों के साथ बना रहा. वो अमेठी के लिए खड़े रहे और लोगों की मदद करते रहे. केएल शर्मा की अमेठी के हर गांव-मोहल्ले तक पैठ है. कांग्रेस ने इसी वजह से 2024 में अमेठी सीट पर उन्हें मौका दिया. किशोरी लाल ने भी पार्टी नेतृत्व को निराश नहीं किया. ये जीत हासिल करके उन्होंने स्मृति ईरानी से राहुल गांधी की हार का बदला भी ले लिया है.
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स्मृति ईरानी की हार के बड़े कारण:-
1. कहते हैं सेल्फ कॉन्फिडेंस आपको ऊपर ले जाता है, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस उतना ही आपको नीचे ले जाता है. पूरे चुनावी कैंपेन में स्मृति ईरानी का ओवर कॉन्फिडेंस दिखा. वो हर मंच पर अपनी जीत को लेकर बड़बोले बयान दे रही थी और विपक्ष को कम आंककर देख रही थीं. इसका खामियाजा उन्हें मिला.
2. BJP और स्मृति ईरानी दोनों अमेठी में अंडर करंट को समझ नहीं पाएं. BJP ने स्मृति ईरानी के खिलाफ किशोरी लाल शर्मा को बहुत हल्के में लिया. गांधी परिवार के प्रति आपत्तिजनक बयानों को लेकर लोगों में स्मृति ईरानी के लिए अंदर ही अंदर गुस्सा था. वोटिंग में ये गुस्सा दिखा.
3. स्मृति ईरानी ने 2019 की जीत की खुमारी में वोटरों से दूरी बना ली थी. अमेठी वासियों का उनसे मिलना मुश्किल था. लेकिन किशोरी लाल शर्मा ग्रास रूट पर काम करते रहे. वो अमेठी के लोगों के लिए हर संभव मदद करते रहे. इससे लोगों का कनेक्ट बढ़ा.
4. कांग्रेस ने अमेठी में टिकट का ऐलान करते समय सोची समझी रणनीति पर काम किया. नामांकन की आखिरी तारीख से 1 दिन पहले राहुल गांधी के टिकट का ऐलान हुआ. लेकिन ये अमेठी के लिए नहीं, बल्कि रायबरेली के लिए था. रायबरेली से बीजेपी ने कैंडिडेट का ऐलान कर दिया था. जबकि अमेठी में मालूम ही नहीं था कि कांग्रेस से कौन चुनाव लड़ेगा. स्मृति अपनी जीत को लेकर ओवर कॉन्फिडेंस में भाषण देती रहीं. लेकिन अंदर ही अंदर किशोरी लाल शर्मा अपनी तैयारी करते रहे.
ऐन वक्त पर जब कैंडिडेट का ऐलान हुआ, तो BJP और स्मृति ईरानी को चीजें भांपने का समय नहीं मिला. अमेठी को कई एक्सपर्ट वन साइडेड फाइट मान रहे थे. कांग्रेस ने यहां के मुकाबले को सबसे दिलचस्प मुकाबला बना दिया.
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