भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस बार भी सात चरणों में मतदान कराये जाएंगे. वाराणसी सीट पर 1 जून को मतदान होगा. उत्तर प्रदेश का वाराणसी सीट काफी हाई प्रोफाइल है. देखा जाए तो दशकों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. वाराणसी को धार्मिक नगरी भी कहते हैं. ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. पिछले 2 बार से पीएम मोदी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 2024 में भी पीएम मोदी इस सीट से ही चुनाव लड़ेंगे.
देखा जाए तो वाराणसी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्रों में गिनी जाने वाली सीटों में से एक है. ऐसा इसलिए, क्योंकि वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूदा सांसद हैं और इस सीट पर इलेक्शन सातवें चरण यानी 1 जून को होगा. इस सीट से पीएम मोदी दो बार लगातार सांसद रह चुके हैं, अब पीएम मोदी जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में है.
बीजेपी का गढ़ रहा है. लेकिन साल 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र (Varanasi Constituency) का ग्राफ और भी ऊपर पहुंच गया. उस समय इस सीट पर लड़ाई नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल थी. पीएम मोदी ने इस सीट पर 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया था. हालांकि केजरीवाल भी 2 लाख से ज्य़ादा वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे. उत्तर प्रदेश का वाराणसी दशकों से बीजेपी का गढ़ रहा है. लेकिन साल 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र (Varanasi Constituency) का ग्राफ और भी ऊपर पहुंच गया. उस समय इस सीट पर लड़ाई नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल थी. पीएम मोदी ने इस सीट पर 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया था. हालांकि केजरीवाल भी 2 लाख से ज्य़ादा वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे.
वााराणसी सीट का इतिहास
वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र दो प्रधानमंत्रियों- पीएम मोदी और पूर्व पीएम चंद्र शेखर की चुनावी लड़ाई का मैदान रहा है, जिन्होंने 1977 में 47.9% के भारी अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी. वाराणसी, उत्तर प्रदेश के उन ग्यारह निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी ने कभी जीत हासिल नहीं की है.
वाराणसी सीट पर पीएम मोदी से पहले बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी का कब्जा था. 2014 में, बीजेपी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि कांग्रेस को बाहर करने और केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का उनका रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा, क्यों कि इस राज्य की लोकसभा में 80 सीटें हैं, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं.
बीजेपी के लिए अपने दम पर पूर्ण बहुमत पाने का रास्ता साफ करने के बाद, वाराणसी सीट को PM मोदी ने साल 2019 में एक बार फिर से चुना और उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव के खिलाफ 4.7 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
वाराणसी लोकसभा सीट का नंबर गेम
वोट शेयर में उतार-चढ़ाव
पिछले कुछ सालों में जीतने वाले उम्मीदवारों के वोट शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. 1999 में बीजेपी ने 33.4% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी और 2004 में कांग्रेस ने 32.6% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. 2009 में, मुरली मनोहर जोशी ने 30.5% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी, जो 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए 56.4% और 2019 में 63.6% उससे भी आगे बढ़ने की लड़ाई बन गई.
2014 के बाद वाराणसी में विकास का ग्राफ
पीएम मोदी के कार्यकाल में वाराणसी का बहुत विकास हुआ है, काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना जैसी पहल से वाराणसी के बढ़ते हुए कद को राजनीतिक और सांस्कृतिक दोनों ही स्तर पर देखा जा सकता है. 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के समय अटकलें लगाई जा रही थीं कि वाराणसी सीट कांग्रेस के पाले में जा सकती है . अटकलें ये भी लगाई जा रही थीं कि प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से चुनाव की शुरुआत कर सकती हैं. हालांकि बीजेपी ने भी आधिकारिक तौर पर इस सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन पीएम मोदी के दोबारा वहां से चुनाव लड़ने की संभावना है.
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